कोरोना से 60 दिन संघर्ष और जिंदगी ने कहा ‘ऑल द बेस्ट’

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मुंबई। कोरोना से संक्रमितों की मृत्यू दर घट गई है जबकि इस महामारी से ठीक होनेवालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। ये महामारी के इस तांडवकाल में शुभ संकेत हैं। ऐसा ही एक शुभ काल आया है शहर के एक बेस्ट कर्मचारी के घर जो 60 दिनों तक कोरोना से संघर्ष के बाद घर लौटा है।
‘बेस्ट’ बस चालक दिलीप पायकडे के घर खुशी की लहर है। उन्हें 26 जून को मूलुंड के अग्रवाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके अंदर टाइफाइड और कोरोना के लक्षण पाए गए थे और स्थिति गंभीर थी। इसे देखते हुए अंधेरी के सेवन इलेवन अस्पताल में उन्हें स्थानांतरित किया गया। उनकी स्थिति यहां गंभीर बनी हुई थी जिससे परिवार में चिंता और भय का वातावरण बन गया था।
बेस्ट का साथ और परिवार का हाथ खींच लाया
दिलीप पायकडे ने हिंदुस्थान पोस्ट संवाददाता सुशांत सावंत से बात करते हुए बताया कि उनके इस संघर्ष में बेस्ट प्रशासन और परिवार दोनों का ही साथ मिला। बेस्ट प्रशासन ने उनके लिए रेमडेसवीर इंजेक्शन की व्यवस्था करवाई तो परिवार दिन रात प्रार्थना में लगा रहा। जिसके कारण 60 दिन अस्पताल में रहने के बाद वे ठीक होकर घर लौटे हैं। अस्पताल में 60 दिनों में से 17 दिन वे वेंटिलेटर पर थे जबकि 43 दिन ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे।
बेस्ट के 1782 कर्मी हो चुके हैं संक्रमित
अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान 1782 बेस्ट कर्मी कोरोना के शिकार हो चुके हैं। जिसमें से 1662 कोरोनाग्रस्त बेस्ट कर्मी ठीक हो चुके हैं। इसके अलावा कोरोना काल में नौकरी पर न आनेवाले कर्मियों पर कार्रवाई शुरू हो गई है। इसमें 159 कर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इन कर्मचारियों को काम पर आने के लिए नेटिस जारी किया गया था। लेकिन इसके बावजूद वे काम पर गैरहाजिर रहे जिसके बाद उन पर कार्रवाई की गई है।

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