…और ऐसे बचाया गया हजारो लीटर पीने का पानी

शहर की प्यास बुझाने के लिए प्रतिदिन शहर में 3800 मीलियन लीटर जलापूर्ति शहर में होती। यह आपूर्ति जल वाहिनियों के द्वारा होती है। जो शहर की सड़कों के नीचे से गुजरती हैं। ये मानव शरीर की धमनियों की तरह पूरे शहर में फैली हुई हैं। ऐसी ही एक जल वाहिनी में रिसाव शुरू था लेकिन सड़क के ऊपर से कुछ भी नहीं दिख रहा था। अंत में मुंबई महानगर पालिका के जल अभियंत्रिकी विभाग के कर्मचारियों ने साउंड रॉड तकनीकी से इस रिसाव का पता लगाया।

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जल योद्धाओं की सूझ-बूझ से प्रतिदिन होनेवाला हजारो लीटर पीने के पानी का नुकसान बचा लिया गया। इसे ढूंढने में मुंबई मनपा के जल अभियंताओं को समय लगा लेकिन तकनीकी के बल पर उन्होंने शहर के नीचे से जा रही जल वाहिनी की लीकेज को पकड़ लिया। यह रिसाव प्रभादेवी के वीर सावरकर मार्ग पर था। जिसे जमीन की खुदाई करके पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया। इससे रोजाना होनेवाला हजारो लीटर पीने के पानी की नुकसान बंद हो गया।

शहर की प्यास बुझाने के लिए प्रतिदिन शहर में 3800 मीलियन लीटर जलापूर्ति शहर में होती। यह आपूर्ति जल वाहिनियों के द्वारा होती है। जो शहर की सड़कों के नीचे से गुजरती हैं। ये मानव शरीर की धमनियों की तरह पूरे शहर में फैली हुई हैं। ऐसी ही एक जल वाहिनी में रिसाव शुरू था लेकिन सड़क के ऊपर से कुछ भी नहीं दिख रहा था। अंत में मुंबई महानगर पालिका के जल अभियंत्रिकी विभाग के कर्मचारियों ने साउंड रॉड तकनीकी से इस रिसाव का पता लगाया। जब सड़क की खुदाई हुई तो नीचे 66 इंच की जल वाहिनी में तीन छेद मिले। जिनसे हजारो लीटर पानी गटर में बह रहा था।

यहां होती थी जलापूर्ति
जो जल वाहिनी क्षतिग्रस्त हुई थी उससे प्रभादेवी, वरली, किस्मत सिनेमा, सेंचुरी बाजार, अप्पा साहेब मराठे मार्ग, सिद्धिविनायक मंदिर परिसर में जलापूर्ति होती थी। इस जल वाहिनी में लीकेज के कारण शहर के पीने के बहुमूल्य पानी का नुकसान तो हो ही रहा था साथ ही जल प्रदूषित भी हो रहा था।

ऐसे लगा पता
सहायक जल अभियंता (आपातकालीन मरम्मत – वरली) के कर्मी शहर की जल वाहिनियों की देखरेख और मरम्मत का कार्य करते हैं। इनके पास पूरे शहर की जल वाहिनी की पूरी जानकारी होती है। इन्हें जल योद्धा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नही होगी। नियमित जांच के दौरान इन कर्मचारियों को जल वाहिनी में रिसाव की आशंका हुई। लेकिन स्वातंत्र्यवीर सावरकर मार्ग की सड़क कॉंक्रीट की होने के कारण ऊपर से कुछ भी नहीं दिख रहा था। अंत में साउंड रॉड तकनीकी के आधार पर इन कर्मियों ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर मार्ग पर स्थित दत्त मंदिर के सामने, मुरारी घाग जंक्शन पर खुदाई की। जिसके बाद 66 इंच की जलवाहनी में तीन स्थानों पर रिसाव का पता लगा। इस जल वाहिनी से प्रतिदिन रिस रहा हजारो लीटर पानी गटर के अंदर जा रहा था। जिसके कारण शहर की प्यास बुझानेवाले पानी का नुकसान हो रहा था।

ये हैं आपके जल योद्धा
शहर के नीचे से गुजरनेवाली जल वाहिनियां मानव शरीर की धमनियों की भांति ही हैं। जिसके डॉक्टर हैं मनपा के जलापूर्ति विभाग के अभियंता और कर्मचारी। स्वातंत्र्यवीर सावरकर मार्ग पर हो रहे जल रिसाव का पता सहायक अभियंता (जल वाहिनी मरम्मत कार्य) जीवन पाटील और उनके दल ने लगाया। जिसमें दुय्यम अभियंता अमित हटवार, कनिष्ठ अभियंता वैभव गावडे और जी-दक्षिण विभाग के अधिकारियों का विशेष योगदान रहा।

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