प्याज पर ‘पाक’ की नापाक सियासत

जून में पाकिस्तान ने वाघा बोर्डर से अफगानिस्तान को प्याज निर्यात की अनुमति दी थी। पाकिस्तान का कहना है कि वह अफगानिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कृतसंकल्प है। लेकिन उसकी कथनी और करनी में हमेशा की तरह अंतर देखने को मिल रहा है।

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देश में प्याज का भाव आसमान पर पहुंच गया है। दिल्ली और मुंबई समेत अन्य शहरों में भी इसकी कीमत खुदरा बाजार में 80 से 100 रुपए के बीच होने से आम लोगों ने इसका उपयोग काफी कम कर दिया है। इस बीच देश में प्याज की कमी को पूरा करने के लिए सरकार अफगानिस्तान से प्याज आयात कर रही है। लेकिन अब खबर है कि पाकिस्तान इसमें अड़चनें पैदा कर भारत में प्याज पहुंचन से रोक रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के नापाक इरादे की वजह से बड़े पैमाने पर प्याज वाघा बोर्डर पर सड़ रही है।

पाकिस्तान की कथनी और करनी में अंतर
बता दें कि देश में प्याज की कमी कई महीनों से देखी जा रही है। भारत में अफगानिस्तान से प्याज वाघा बोर्डर के जरिए मार्च से आना बंद था। यह निर्णय कोरोना महमारी के मद्देनजर लिया गया था। जून में पाकिस्तान ने वाघा बोर्डर से अफगानिस्तान को प्याज निर्यात की अनुमति दी थी। पाकिस्तान का कहना है कि वह अफगानिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कृतसंकल्प है। लेकिन उसकी कथनी और करनी में हमेशा की तरह अंतर देखने को मिल रहा है। अफगानिस्तान के व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान द्वारा अड़चन डालने से प्याज भारत नहीं पहुंच रही है और 70 प्रतिशत प्याज वाघा बोर्डर पर सड़ रही है।

पाक के पास स्कैनर की कमी
मिल रही जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के प्रोसेस की गति इतनी धीमी है कि मात्र 30 फीसदी प्याज का ही हर दिन प्रोसेस किया जा रहा है। इसका एक कारण यह बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के पास पर्याप्त संख्या में स्कैनर का अभाव है। उसके अधिकारी व्यापारियों को प्याज छोटी बोरियों में रखने का दबाव बना रहे हैं। इस वजह से व्यापारियों के प्याज निर्यात की लागत बढ़ रही है। पाकिस्तान के इस रवैये से दोनों देशों के बीच व्यापार प्रभावित होने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है।

राहत की खबर
इस बीच देश में प्याज को लेकर मचे बवाल के बीच अच्छी खबर यह है कि इसके दाम में पिछले एक हफ्ते से कोई उछाल नहीं आया है और यह स्थाई रुप से 80 से 100 रुपए प्रति किलो उपलब्ध है। लेकिन यह दाम भी देश के आम लोगों की पहुंच से बाहर है। हालांकि सरकार ने इसके दाम पर नियंत्रण के लिए जहां इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं  वह ईरान और अफगानिस्तान से बड़े पैमाने पर प्याज आयात करने की कोशिश कर रही है। इस वजह से एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी माने जानेवाली दिल्ली के आजादपुर मंडी के साथ ही दूसरी बड़ी मंडियों में भी प्याज के दाम में पिछले एक हफ्ते से ज्यादा वृद्धि देखने के नहीं मिली है। आजादपुर की थोक मंडी में फिलहाल प्याज का दाम 40 से 50 रुपए प्रति किलो है। इसी तरह महाराष्ट्र के नाशिक में भी प्याज के दामों में एक हफ्ते में कोई ज्यादा तेजी नहीं देखी गई है।

बढ़ सकती है मांग
अभी नवरात्रि का समापन हुआ है और इस त्योहार  में काफी लोग प्याज का सेवन नहीं करते  हैं और इसकी खपत कम हो जाती है, लेकिन नवरात्रि के समापन के बाद इसकी मांग बढ़ने पर इसके दाम भी बढ़ सकते हैं। ये काफी हद कर इसपर निर्भर करेगा कि ईरान और अफगानिस्तान से प्याज की कितनी खेप देश में आयात हो पा रही है।

दाम में उछाल की वजह
प्याज के दाम बढ़ने का एक कारण महाराष्ट्र और दक्षिण भारत मे हुई तेज बारिश मानी जा रही है। सितंबर और अक्टूबर में इन इलाकों में भारी बारिश होने से काफी तबाही मची है तथा प्याज की फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। इस वजह से महाराष्ट्र समेत पूरे देश में प्याज के दामों में वृद्धि देखी जा रही है। प्याज के दामों पर लंबे समय तक नियंत्रण के लिए सरकार के दो निर्णय महत्पूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पहला -इसके निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखा जाए और दूसरा – बड़ी मात्रा में प्याज आयात की जाए। क्योंकि देश में प्याज की नई फसल आने में अभी दो से तीन महीने का वक्त लगेगा।

 

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