जानिए क्या है PCOD और PCOS, जानें इसके लक्षण और बचने के उपाय

पीसीओएस और पीसीओडी दोनों के सामान्य लक्षण होता है।

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आज-कल अधिकतर महिलाएं एक गंभीर समस्या से गुजर रही हैं, जिसे पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD) और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) कहते हैं। बहुत से अध्यनों और स्त्री-रोग विशेष्यज्ञों के अनुसार, अधिकांश महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं। सामान्य आंकड़ों के अनुसार, 10 महिलाओं में से एक महिला इस समस्या का सामना कर रही है। यह महिलाओं के अंडाशय (Ovaries) और हॉर्मोन से संबंधित आम समस्या है। यह शरीसर के अंदर हार्मोन्स (Hormones) असंतुलन के कारण होता है, PCOD और PCOS दोनों ही जीवन शैली (Lifestyle) से जुड़ी ऐसी समस्याएं हैं, जो शारीरिक (Physical) और मानसिक (Mental) दोनों ही तरीकों से प्रभावित करती हैं, चलिए जानते हैं की PCOD और PCOS कैसे होता है।

अब आप सोच रहे होंगे कि PCOD और PCOS असल में होता कैसे है? आइए इसे और विस्तार से समझते हैं। जब ओवेरी याने की अंडाशय में अनेक छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, तो PCOD की स्थिति होती है। यह सिस्ट, असल में अंडाणु होते हैं जो सही तरह से परिपक्व नहीं हो पाते। इस स्थिति में महिलाओं की ओवरी का आकार बड़ा हो जाता है। इसके पीछे हार्मोन्स असंतुलन होना एक प्रमुख कारण है। पीसीओडी और पीसीओएस महिलाओं में एंड्रोजन यानी पुरुष हार्मोन की अधिकता से होने वाली समस्या है। जब एक महिला के शरीर में एक विशेष प्रकार का हार्मोन अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है, इसमें मेटाबॉलिक और हार्मोनल असंतुलन ज्यादा होता है। इस कारण यह समस्या होती है। जहा पीसीओएस एक गंभीर बीमारी है, वही पीसीओडी एक सामान्य स्थिति है, केवल पीसीओडी के अत्यधिक बढ़ने को ही पीसीओएस कहा जाता है।

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पीसीओडी और पीसीओएस के लक्षण क्या हैं?
पीसीओएस और पीसीओडी दोनों के सामान्य लक्षण होता है। जैसे – अनियमित पीरियड्स, एक्ने या मुहांसे, वजन बढ़ना, बाल झड़ना, त्वचा पर अनचाहे बाल आना, चिड़चिड़ा पन होना, अतिनकरात्मक विचार करना, कम आत्मविश्वास महसूस करना, उल्टी या मतली की भावना, गर्भधारण करने में मुश्किलें आना, मधुमेह की आशंका बढ़ना, यदि इनमे से कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुरंत अपनी दिनचर्या में बदलाव लाए। साथ ही डॉक्टर से परामर्श लें।

पीसीओडी और पीसीओएस से कैसे दूर रहें?
यदि अपने दिनचर्या और जीवनशैली में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो पीसीओडी और पीसीओएस दोनों से बचा जा सकता है, जैसे – तनाव न लें, वजन को नियंत्रण में रखें, स्वस्थ और पौष्टिक भोजन खाने की आदत डालें, योग या व्यायाम को अपनी जीवन शैली (Lifestyle) में जरूर शामिल करें, हमेशा खुश रहने की कोशिश करें। इसके साथ ही अगर आपको पीसीओएस या पीसीओडी से जुड़ा कोई भी लक्षण दिखे तो इसे नजरअंदाज न करें। इसके जांच के लिए तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।

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