इसरो मना रहा है अपना 54वां स्थापना दिवस! जानिये, यह कैसे करता है काम

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 15 अगस्त को अपना 54 वां स्थापना दिवस मनाया। यह भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है। इसरो भारत और मानव जाति के अंतरिक्ष के लाभ उठाने के लिए विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करता है। यह भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) का एक प्रमुख घटक है। इसरो विभिन्न केंद्रों या इकाइयों के माध्यम से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्रियान्वित करता है।

इससे पहले भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) थी, जिसे 1962 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। इसकी स्थापना में डॉ. विक्रम साराभाई ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इसरो का गठन 15 अगस्त, 1969 को हुआ था और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए विस्तारित भूमिका के साथ INCOSPAR को हटा दिया गया था। इसके साथ ही DOS की स्थापना की गई और 1972 में इसरो को DOS के अंतर्गत लाया गया।

स्थापना का ये है उद्देश्य
इसरो/डीओएस का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और प्रयोग है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, इसरो ने संचार, टेलीविजन प्रसारण और मौसम संबंधी सेवाओं के लिए प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियां स्थापित की हैं। संसाधनों की निगरानी और प्रबंधन और अंतरिक्ष-आधारित नेविगेशन सेवा तथा उपग्रहों को आवश्यक कक्षाओं में स्थापित करने के लिए इसरो ने उपग्रह प्रक्षेपण यान, पीएसएलवी और जीएसएलवी विकसित किए हैं।

विज्ञान और शिक्षा में भी योगदान
अपनी तकनीकी प्रगति के साथ-साथ, इसरो देश में विज्ञान और शिक्षा में भी योगदान देता है। सुदूर संवेदन, खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी, वायुमंडलीय विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के लिए विभिन्न समर्पित अनुसंधान केंद्र और स्वायत्त संस्थान अंतरिक्ष विभाग के तत्वावधान में सामान्य रूप से कार्य करते हैं। इसरो चंद्रयान और अंतरग्रही मिशन के साथ ही अन्य वैज्ञानिक परियोजनाओं के साथ-साथ वैज्ञानिक समुदाय को मूल्यवान डेटा प्रदान करने के अलावा विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहित और बढ़ावा देता है।

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बेंगलुरु में मुख्यालय
इसरो का मुख्यालय बेंगलुरु में है। इसकी गतिविधियां विभिन्न केन्द्रों और इकाइयों में फैली हुई हैं। प्रक्षेपण यान विक्रमसाराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), तिरुवनंतपुरम में बनाए गए हैं। उपग्रहों को यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी), बेंगलुरु में डिजाइन और विकसित किया जाता है। उपग्रहों और प्रक्षेपण वाहनों का एकीकरण और प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी), श्रीहरिकोटा से किया जाता है। क्रायोजेनिक सहित तरल चरणों का विकास तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी), वलियामाला और बेंगलुरु में किया जाता है। संचार और रिमोट सेंसिंग उपग्रहों के लिए सेंसर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग पहलुओं का कार्य अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), अहमदाबाद में किया जाता है और रिमोट सेंसिंग उपग्रह डेटा रिसेप्शन प्रसंस्करण और प्रसार का काम राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी), हैदराबाद को सौंपा जाता है।

अध्यक्ष होता है प्रमुख
इसरो की गतिविधियां इसके अध्यक्ष द्वारा निर्देशित होती हैं, जो डीओएस के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष भी होते हैं। इसका शीर्ष निकाय जो नीतियां बनाता है,उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में लागू किया जाता है।

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