हाथरस केस : पुलिस की भूमिका की जांच के लिए पूर्व जज पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

हाथरस मामले में अलग-अलग याचकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस पर गहरी चिंता जताई है। इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश चंद्रभान सिंह ने भी एक जनहित याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने पीड़िता के इलाज में प्रशासन और पुलिस पर मिलीभगत होने के आरोप लगाए हैं जिस वजह से उसकी मौत हो गयी।

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हाथरस मामले में पुलिस की भूमिका की जांच की मांग लंबे समय से उठ रही है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस याचिका में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रथामिकी दर्ज कराने की मांग की गई है।
हाथरस मामले में अलग-अलग याचकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस पर गहरी चिंता जताई है। इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश चंद्रभान सिंह ने भी एक जनहित याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने पीड़िता के इलाज में प्रशासन और पुलिस पर मिलीभगत होने के आरोप लगाए हैं जिस वजह से उसकी मौत हो गयी। याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार से इतर किसी जांच एजेंसी से इस मामले की जांच कराने का अनुरोध किया गया है।
ये है मामला
हाथरस जिले के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित युवती से मारपीट की गई थी। इस युवती की बाद में 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो गयी। जिसके बाद 30 सितंबर की देर रात उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गई थी। उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने मृतका का अंतिम संस्कार जल्दी करने के लिये दबाव डाला था। हालांकि, स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिवार की इच्छा के अनुसार ही उसकी अंत्येष्टि की गई। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद उप्र सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की है और ‘एफएसएल’ की रिपोर्ट का हवाला देते हुये बलात्कार के आरोप से इंकार किया है।
क्या है याचिका में?
वकील समरहर सिंह के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया में सामने आए दृश्यों से पता चलता है कि पीड़िता की अस्थियां अब भी खुले खेत में पड़ी हैं और मीडिया, किसी बाहरी व्यक्ति या नेताओं के गांव में प्रवेश पर पाबंदी लगी हुई है। याचिका में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता की मां, पिता और भाई के बयान दर्ज कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इसके अलावा कहा गया है कि अगर पीड़िता के परिवार का मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित आरोप सही पाया जाता है तो प्रतिवादियों तथा इसमें संलिप्त पाए जानेवाले अन्य व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए।

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