ज्ञानवापी मामला: वाराणसी न्यायालय को सर्वोच्च निर्देश, इस तिथि को होगी अगली सुनवाई

सर्वोच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मामले की सुनवाई फिलहाल टाल दी है। इसके साथ ही उसने वाराणसी न्यायालय को भी बड़ा आदेश जारी किया है।

129

वाराणसी की ज्ञानवापी मामले में 19 मई को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायालय ने वाराणसी कोर्ट को 19 मई को कोई भी आदेश जारी नहीं करने का निर्देश दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि मामले की सुनवाई 19 मई को नहीं, बल्कि 20 मई को दोपहर तीन बजे होगी।

फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मामले की सुनवाई एक दिन के लिए टाल दी है। इस बीच जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने वाराणसी की निचली अदालत को निर्देश दिया कि वो आज इस मामले में कोई आदेश जारी न करे।

19 मई को सुनवाई के दौरान वाराणसी की निचले न्यायालय में याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुनवाई टालने की मांग की। वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वाराणसी कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकील हरिशंकर जैन 18 मई को अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं। उन्होंने 19 मई को सुनवाई टालने की मांग की। वकील हुफेजा अहमदी ने 19 मई को वाराणसी कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की।

17 मई को न्यायालय ने दिया था ये आदेश
कोर्ट ने 17 मई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग को सील करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिमों को नमाज के लिए प्रवेश करने से नहीं रोका जाए। कोर्ट ने कहा था कि निचले न्यायालय की सुनवाई पर कोई रोक नहीं है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील हुफेजा अहमदी ने कहा था मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, गणेश और दूसरे देवताओं के पूजा-दर्शन का अधिकार मांगा गया है। यह इस जगह की स्थिति को बदल देगा, जो अभी मस्जिद है। अहमदी ने कहा था कि हमने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति को चुनौती दी, जो खारिज हो गई। कमिश्नर बदलने की मांग भी ठुकरा दी गई। कहा गया कि आप कमिश्नर नहीं चुन सकते, सिर्फ तथ्यों की जांच हो रही है।

न्याायलय ने पूछा थाः
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि कमीशन ने कब काम किया। तब अहमदी ने कहा था कि 14 और 15 मई को। उनको पता था कि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है, फिर भी उन्होंने अपनी कार्रवाई की। फिर कहा गया कि शिवलिंग मिला है। निचली अदालत से 16 मई को सीलिंग का आदेश पारित हो गया। कमीशन की तरफ से हुई कार्रवाई की गोपनीय रखी जानी चाहिए थी लेकिन सार्वजनिक हो गई। इसके बाद पुलिस, प्रशासन को आदेश दिया गया है। नमाज़ियों की संख्या सीमित कर दी गई है।

मस्जिद पक्षकार ने रखा अपना पक्ष
कोर्ट ने कहा कि आवेदन में काफी बातें मांगी गईं लेकिन कोर्ट ने बस सीलिंग का आदेश दिया। इस पर अहमदी ने कहा कि धार्मिक स्थल की स्थिति बदली जा रही है। तब कोर्ट ने कहा कि हम आदेश देंगे कि आपके आवेदन का सिविल कोर्ट जल्द निपटारा करे। तब अहमदी ने कहा कि सिर्फ इतनी बात नहीं है। सिविल कोर्ट के सभी आदेशों पर रोक लगनी चाहिए। अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट सभी धर्मस्थलों पर लागू है। सर्वोच्च न्यायालय यह देखे कि क्या निचली अदालत में यह वाद चलना चाहिए था। तब कोर्ट ने कहा कि वादी के लिए निचली अदालत में कौन वकील है। यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हरिशंकर जैन पेश हुए थे लेकिन मुझे बताया गया है कि वह बीमार हैं। अहमदी ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट जमा हुए बिना और मुस्लिम पक्ष को सुने बिना निचली अदालत ने सीलिंग का आदेश दिया है, जो गलत है।

शिवलिंग की जगह सुरक्षित रखने का आदेश
कोर्ट ने कहा कि हम निचली अदालत को निर्देश देना चाहते हैं कि जहां शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखा जाए लेकिन लोगों को नमाज से न रोका जाए। तब मेहता ने कहा था कि वज़ूखाने में शिवलिंग मिला है, जो हाथ-पैर धोने की जगह है। नमाज की जगह अलग होती है। मेहता ने कहा था कि शिवलिंग को नुकसान न पहुंचे और तब कोर्ट ने कहा कि हम सुरक्षा का आदेश देंगे। तब मेहता ने कहा कि मैं इस पर कल बताना चाहूंगा। आपके आदेश का कोई अवांछित असर न पड़े, हम यह चाहते हैं। अहमदी ने कहा कि इस आदेश से जगह की स्थिति बदल जाएगी। वज़ू के बिना नमाज नहीं होती। उस जगह का इस्तेमाल सदियों से हो रहा है। तब कोर्ट ने कहा कि हम 19 मई को सुनवाई करेंगे। अभी हम उस जगह के संरक्षण का आदेश बरकरार रखेंगे। हम डीएम को इसका निर्देश देंगे। अगर कोई शिवलिंग मिला है तो उसका संरक्षण ज़रूरी है। लेकिन अभी नमाज नहीं रोकी जानी चाहिए।

19 को होनी थी सुनवाई
कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं। 19 मई को सुनवाई करेंगे। उस दिन सिविल कोर्ट में जो वादी हैं, उनके वकील को भी सुना जाएगा। हम 16 मई के आदेश को सीमित कर रहे हैं। तब मेहता ने कहा कि अगर किसी ने शिवलिंग पर पैर लगा दिया तो कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है। तब अहमदी ने कहा कि वज़ू अनिवार्य है। तब मेहता ने कहा कि वह कहीं और भी हो सकती है। उसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम वाराणसी के डीएम को आदेश दे रहे हैं कि जहां शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखें। नमाज़ से लोगों को न रोका जाए। निचली अदालत की सुनवाई पर रोक नहीं है।

अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी ने दायर की है याचिका
यह याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी ने दायर की है। याचिका में वाराणसी निचली अदालत से जारी सर्वे के आदेश को 1991 प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ बताया है। सुनवाई के दौरान हुफेजा ने कहा था कि वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत आता है लेकिन वाराणसी की निचली अदालत ने इस कानून का उल्लंघन करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया है।

बता दें कि वाराणसी की निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था लेकिन ये सर्वे मस्जिद कमेटी ने नहीं होने दिया था। दरअसल पांच हिन्दू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के पश्चिमी दीवार के पीछे पूजा करने की मांग की है।

Join Our WhatsApp Community

Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.