पुणे से भी होती थी टेरर फंडिंग! एसआईटी की जांच में सामने आया षड्यंत्र

पुणे को शिक्षा की राजधानी कहा जाता है। यहां शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए देश अन्य हिस्सों से भी छात्र आते हैं।

109

पुणे पुलिस ने पैसे लेकर प्रवेश दिलाने के नाम से चल रैकेट की जब जांच शरू की तो लगा भी नहीं था कि, इसके सूत्र विदेशों से जुड़े होंगे। परंतु, जब अधिकारी इस कार्य में संलिप्त लोगों के संपर्क की जांच करने लगे तो ये अंडरवर्ल्ड और उसके द्वारा टेरर फंडिंग तक पहुंच गया। इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया।

पुणे में शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश दिलाने के नाम पर एक रैकेट संचालित हो रहा था। इसका पर्दाफाश पुणे पुलिस ने दो वर्ष पूर्व किया था। इस प्रकरण की जांच में गिरोहबाजों का संबंध अंडरवर्ल्ड से मिला। जिसके पश्चात जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को सौंप दी गई।

ये भी पढ़ें – महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बोले, ‘मुझे जेल में डाल दो’

जांच में आई दिक्कतें
प्रवेश दिलाने के नाम पर लोगों से पैसे ऐंठे जाने की जांच एसआईटी के हाथ जाने पर भी इसमें देरी हो रही थी। इसका कारण था जांच दल के पास धनाभाव। इस दल का नेतृत्व पुलिस उपायुक्त कर रहे थे। वे इसकी रिपोर्ट सीधे पुलिस महानिदेशक को देते थे। माफिया से जुड़े लोगों की संलिप्तता के कारण इस प्रकरण में खतरा भी कम न था। परंतु, जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, इससे जुड़े लोगों के कॉल रिकॉर्ड जम्मू कश्मीर के आतंकी आकाओं से तार जोड़ने लगे।

ऐसे चली जांच
जांच दल की 9 सदस्यीय एसआईटी ने 4 से 5 महीनों में 25 लाख से अधिक सीडीआर (फोन कॉल डेटा) की जांच की, 500 लोगों का सत्यापन किया और 50 बैंक खातों की जांच की। संशयितों से पूछताछ में पता चला कि यहां पैसे जमा करके आतंकी गतिविधियों में उपयोग किया जा रहा था। पैसे को पुणे से जम्मू-कश्मीर में सीरिया और जॉर्डन के रास्ते डायवर्ट किया जा रहा था। इस जांच में राज्य प्रशासन की सहायता भी लगी गई थी। एसआईटी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि, इस टेरर फंडिंग के प्रकरण में कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, निजी बैंकों और नेताओं के सहायकों के शामिल होने की भी संभावना थी।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.