सागरी सुरक्षा में हुई वृध्दि…

कोलकोता की हुगली नदी में आईएनएस हिमगिरि का एक समारोह में जलावतरण किया गया। इसका निर्माण प्रोजेक्ट 17-ए के अंतर्गत किया गया है जिसमें कुल तीन युद्धपोतों का निर्माण किया जाना है। आईएनएस हिमगिरि इस परियोजना का पहला युद्धपोत है।

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आईएनएस हिमगिरि का कोलकाता में लोकार्पण हुआ। चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जनरल बिपिन रावत के करकमलों से इस युद्धपोत का जलावतरण संपन्न हुआ। नीलगिरि क्लास के तीन युद्धपोतों में से यह पहला पोत है।

कोलकोता की हुगली नदी में आईएनएस हिमगिरि का एक समारोह में जलावतरण किया गया। इसका निर्माण प्रोजेक्ट 17-ए के अंतर्गत किया गया है जिसमें कुल तीन युद्धपोतों का निर्माण किया जाना है। आईएनएस हिमगिरि इस परियोजना का पहला युद्धपोत है। इसका निर्माण कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा किया गया है। यह प्रोजेक्ट-17 शिवालिक क्लास फ्रिगेट का हिस्सा है।

क्या है प्रोजेक्ट 17-ए?

यह प्रोजेक्ट नीलगिरि क्लास फ्रिगेट प्रोजेक्ट 17-ए (पी-17) प्रोजेक्ट-17 (पी-17) का अगला चरण है। यह भारत में निर्मित युद्धपोतों का भाग है जिसका नामकरण देश की पर्वत श्रृंखलाओं पर आधारित है। नीलगिरि क्लास का मूल ब्रिटिश लिएंडर क्लास फ्रिगेट से है। भारत में निर्मित फ्रिगेट का नाम आईएनएस नीलगिरी, आईएनएस हिमगिरि, आईएनएस उदयगिरि, आईएनएस द्रोणगिरि, आईएनएस तारागिरि, आईएनएस विंध्यगिरि और आईएनएस महेंद्रगिरि है। ये सात युद्धपोतों की श्रृंखला है जिसमें से कुछ का जलावतरण हो गया है जबकि कुछ निर्माणाधीन हैं। ये सभी अत्याधुनिक मारक क्षमता से लैस युद्धपोत हैं। इसमें से 4 का निर्माण सरकार के अधीन माझगांव डॉक लिमिटिड (एमडीएल), मुंबई में हो रहा है। जबकि तीन का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में हो रहा है।

क्या है विशेषता?

इन युद्धपोतों का निर्माण पूर्णरूप से स्वदेशी तकनीकी पर आधारित है। इन्हें अत्याधुनिक मारक क्षमता के अस्त्रों से लैस किया गया है। जिसमें रोल स्टैबलाइजेशन और डिस्क्रीट वीजुअल प्रोफाइल सम्मिलित है इससे युद्ध की स्थिति में इसकी क्षमता में तिगुनी बढ़ोतरी हो जाती है।

मारक क्षमता

प्रोजेक्ट 17-ए के अंतर्गत निर्मित युद्धपोतों में वैश्विक रूप से अत्याधुनिक हथियार और सेंसर लगाए गए हैं। जिससे ये इंटीग्रेटेड प्लेटफार्म मैनैजमेंट सिस्टम के अंतर्गत एक उन्नत युद्धपोत की श्रेणी में आता है। डेफपोस्ट की खबरों के अनुसार ये योद्धपोत दो जीई एलएम-2500 मरीन गैस टर्बाइन और दो डीजल इंजन जो डीजल के अलावा गैस (कोडोग) टर्बाइन से परिपूर्ण है।

जानकारी के अनुसार एलएम-2500 गैस टर्बाइन की असेंबलिंग भारत में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के इंडस्ट्रियल एंड मरीन गैस टर्बाइन डिवीजन में किया जाता है।

अत्याधुनिक मारक हथियार से लैस

पी-17 के अंतर्गत आनेवाले युद्धपोत बराक-8 और ब्रम्होस सर्फेस टू एयर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस होंगे। ये एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, एंटी शिप मिसाइल, अनमैंड एरियल वेहिकल (यूएवी) और बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसालइ, युद्धक विमान के संभावित खतरे को निष्प्रभावी करने में सक्षम हैं।

इतना है खर्च

2017 में शुरू हुए इन योद्धपोतों के निर्माण में 45 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी। प्रत्येक युद्धपोत के निर्माण की लागत 4 हजार करोड़ रुपए आसपास होगी।

 

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