टाटा संस-साइरस मिस्त्री विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा फैसला!

टाटा संस लिमिटेड की बड़ी जीत हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने 26 मार्च को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के आदेश को पलट दिया है।

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सर्वोच्च न्यायलय ने टाटा संस में साइरस मिस्त्री को चेयरमैन के तौर पर बहाल करने के एनसीएलटी के फैसले को पलट दिया है। इस मामले में न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि साइरस मिस्त्री को हटाने का बोर्ड का फैसला सही था।

यह टाटा संस लिमिटेड की एक बड़ी जीत है। सर्वोच्च न्यायालय ने 26 मार्च को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के आदेश को पलट दिया। इसमें साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया गया था।

टाटा ग्रुप की कंपनियों के शेयर में उछाल
इस फैसले के बाद टाटा ग्रुप के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखी गई। ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में 5 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखा गया। टीसीएस का शेयर 1 फीसदी से ज्यादा चढ़ गया, जबकि टाटा मोटर्स के शेयर में पांच फीसदी तक की तेजी देखी गई। टाटा केमिकल्स में 3 फीसदी के बढ़ोतरी रही, जबकि टाटा स्टील में 6 फीसदी का उछाल आया।

टाटा संस की बड़ी जीत
न्यायालय ने मामले में टाट संस के फैसले को सही बताया तथा एनसीएलटी के आदेश को रद्द कर दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने शापूरजी पलोनजी समूह और साइरस मिस्त्री द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया कि मिस्त्री के खिलाफ टाटा संस बोर्ड की कार्रवाई शेयरधारकों के हितों के खिलाफ और कुप्रबंधन नहीं था। न्यायालय ने कहा कि टाटा और मिस्त्री अपने विवाद को न्यायालय के बाहर निपटा सकते हैं।

 पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
17 दिसंबर 2020 को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एए बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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साइरस मिस्त्री की दलील
साइरस मिस्त्री की ओर से अधिवक्ता श्याम दीवान द्वारा दो मुख्य व्यापक पहलुओं पर दलील दी गई। पहला- 24 अक्टूबर 2016 की बैठक में साइरस मिस्त्री को मनमाने ढंग से पद से हटाने और दूसरा- टाटा ग्रुप द्वारा विशेष रुप से कॉरपोरेट गवर्नमेंस के सिद्धांतों से समझौता किए जाने की बात कही गई। उन्होंने इसे कॉरपोरेट संबंधों में इमानदारी और विश्नवास को नुकसान पहुंचाने वाला बताया।

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ये है पूरा मामला

  • 13 दिसंबर 2012 को  रतन टाटा अंतिम बोर्ड की बैठक में शामिल हुए।
  • 28 जून 2016 को 50 स्वतंत्र निदेशकों सहित नामांकन पारिश्रमिक समिति ( एनआरसी) ने कार्यकारी अध्यक्ष के रुप में साइरस मिस्त्री के कार्य की प्रशंसा की।
  • 12 जुलाई 2016 को मिस्त्री ने टाटा को पत्र लिखकर एसोसिएशन ऑफ आर्टिकल्स में व्यावहारिक कठिनाईयों के बारे में जानकारी दी।
  • 28 जुलाई 2016 को टाटा ने मिस्त्री को सूचित किया कि वह उनकी शिकायत से असमहत है और मिस्त्री को शेयरधारकों तथा एओए के सिद्धांतो का पालन करना चाहिए।
  • 8 अगस्त 2016 को टाटा ने बोर्ड की बैठक को प्रभावित करनेवाले शेयरधारकों को दो पत्र भेजे।
  • 24 अक्टूबर 2016 को रतन टाटा चेयरमैन एमोरिटस के रुप में 2012 के बाद पहली बार बैठक मे शामिल हुए। इस बैठक में मिस्त्री, निदेशक, टाटा संस के सदस्य, स्वतंत्र निदेशक और दो व्यक्तिगत नामांकित शामिल थे। नामांकितों के नाम पिरामल और श्रीनिवास थे। इन्हें टाटा के निजी नामांकन में नामांकित किया गया था। इन्होंने मिस्त्री के निष्कासन के लिए मतदान किया था। इनकी दलील थी कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि मिस्त्री को कार्यकारी अध्यक्ष के पद से हटा दिया जाए, क्योंकि ट्रस्ट ने किसी कारण से उनमें अपना विश्वास खो दिया है।
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