श्रीलंकाः कार्यवाहक राष्ट्रपति ने बनाई सशस्त्र बलों के प्रमुखों की समिति, राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर कही ये बात

रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे को हमें समाप्त करना चाहिए। हम सरकारी संपत्ति को बर्बाद नहीं होने दे सकते।

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श्रीलंका में भयावह आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। कार्यवाहक राष्ट्रपति सिंघे ने देश के नाम संदेश में देश भर में आपातकाल और कोलंबो व आसपास के इलाकों में 14 जुलाई को कर्फ्यू लगाने की घोषणा की है।

विक्रमसिंघे ने 13 जुलाई को टेलीविजन पर एक बयान जारी कर देशभर में आपातकाल लगाने के कोलंबो और आसपास के क्षेत्रों में 14 जुलाई शाम तक कर्फ्यू लगाने का निर्देश दिया है। विक्रमसिंघे ने कहा कि सुरक्षा बलों को हालात सामान्य करने के लिए आपातकाल और कर्फ्यू लगाने का निर्देश दिया है। इसके लिए सशस्त्र बलों के प्रमुखों की एक समिति बनाई गई है। इस समिति के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होगा। सभी फैसलों को संविधान के तहत ही लागू किया जाएगा।

सरकारी संपत्ति को नुकसान होते नहीं देख सकतेः विक्रमसिंघे
रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे को हमें समाप्त करना चाहिए। हम सरकारी संपत्ति को बर्बाद नहीं होने दे सकते। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यालय के कुछ लोग कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में मुझे कार्य करने से रोकना चाहते हैं। इसमें कुछ राजनेता भी उग्रवादियों का समर्थन करते प्रतीत होते हैं।

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प्रधामंत्री कार्यालय पर धावा
उल्लेखनीय है कि 13 जुलाई को कोलंबो में उग्र प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर धावा बोल दिया। गोटवाया को वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने से आक्रोशित लोगों ने वायुसेना के कमांडर के आवास को भी घेर लिया।

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