अब ‘राज’युद्ध कोर्ट में!

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महाराष्ट्र में राज भवन और राज काज कर्ताओं के बीच तनातनी बढ़ सकती है। विधायकों की नियुक्ती की सूची का मामला राज भवन में लंबित है। जिससे सत्ताधारी दलों में राज्यपाल के प्रति नाराजगी है। इस नाराजगी के चलते अब विधायकों की सूची को राज्यपाल की संस्तुति मिले इसके लिए सरकार कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।

कुछ दिन के विराम के बाद एक बार फिर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी और महाविकास आघाड़ी सरकार के बीच सियासत गर्मा गई है। भविष्य में दोनों के बीच यह तंज और जंग तेज होने की पूरी संभावना है। मामला राज्यपाल द्वारा  मनोनीत किए जाने वाले 12 सदस्यों की नियुक्ति में हो रहे विलंब का है। महामहिम ने विधान परिषद के 12 सदस्यों की नियुक्ति को अभी भी हरी झंडी नहीं दिखाई है, जबकि सरकार ने उनकी सूची काफी पहले ही भेज दी है। महाविकास आघाड़ी सरकार ने उनसे 21 नवंबर तक सदस्यों की नियुक्ति पर मुहर लगाने का अनुरोध किया था। लेकिन यह तारीख बीत जाने के बावजूद राजभवन में इस बारे में कोई हलचल नहीं होने से सरकार नाराज हो गई है।

मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने की संभावना
महामहिम को समय सीमा देने और इस बारे में अनुरोध करने के बावजूद विधान परिषद के सदस्यों को मंजूरी नहीं दिए जाने से महाविकास आघाड़ी सरकार की नाराजगी चरम पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ सरकार की इस नारजागी का महामहिम पर कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है। इस वजह से महाविकास आघाड़ी सरकार 23 नवंबर को बैठक करनेवाली है। इस बैठक में सरकार इस मामले में आगे की रणनीति तय करेगी। इस मुद्दे पर सरकार के पास दो विकल्प हैं, पहला वो इस मामले को लेकर राष्ट्रपति के पास जाए, दूसरा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए। इन दोनों ही विकल्पों पर होनेवाली बैठक में चर्चा किए जाने की बात कही जा रही है।

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6 नवंबर को सौंपी थी सूची
राज्य सरकार ने 6 नवंबर को ही विधान परिषद के 12 सदस्यों की सूची राज्यपाल को सौंप दी थी। शिवसेना नेता अनिल परब, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता नवाब मलिक और कांग्रेस नेता अमित देशमुख ने राज्यपाल से मुलाकात कर यह सूची उन्हें सौंपी थी। इस दौरान उन्होंने महामहिम से 21 नवंबर तक इनकी नियुक्ति को मंजूरी देने का भी अनुरोध किया था।

कोर्ट में याचिका
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि एनसीपी के दिग्गज नेता एकनाथ खडसे और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता राजू शेट्टी के साथ विधान परिषद की सूची में शामिल 8 सदस्यों की नियुक्ति के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस वजह से कानूनी तौर पर यह मामला काफी पेंचीदा हो गया है। जिन नेताओं के खिलाफ याचिका दायर की गई है उनमें एकनाथ खड़से, राजू शेट्टी के साथ ही यशपाल भिंगे, रजनी पाटील, सचिन सावंत, सय्यद मुजफ्फर हुसैन, विजय करंजकर  और चंद्रकांत रघुवंशी के नाम शामिल हैं। दो सामाजिक कार्यर्ताओं ने इन्हें कला और सामाजिक कार्यकर्ता बताए जाने के खिलाफ यह याचिका दायर की है।

सूची में इनके नाम शामिल
एनसीपी की ओर से एकनाथ खडसे, राजू शेट्टी, यशपाल भिंगे और आनंद शिंदे, कांग्रेस की ओर से रजनी पाटील, सचिन सावंत, मुजफ्फर हुसैन और अनिरुद्ध वनकर तथा शिवसेना की ओर से उर्मिला मांतोडकर, नितिन बानगुडे पाटील, विजय करंजकर और चंद्रकांत रघुवंशी के नाम दिए गए हैं।

हिंदुत्व के मुद्दे पर भी हुई थी नोकझोंक
राज्यपाल और उद्धव सरकार के बीच अब तक कई मुद्दों पर तकरार हो चुकी है। इससे पहले मंदिर को खोलने और हिंदुत्व के मुद्दे पर भी दोनों में तीखी नोकझोंक हुई थी। महामहिम ने सवाल उठाया था कि बार और मॉल तो खुल रहे हैं लेकिन मंदिर कब खुलेंगे। क्या यही है शिवसेना का हिंदुत्व। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि महामहिम हमें हिंदुत्व का पाठ न पढ़ाएं। हमारा हिंदुत्व थाली और ताली बजाने से अलग है।

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