“जादुई घोषणा करने वाली पार्टियों की मान्यता खत्म हो!” जानिये, सर्वोच्च न्यायालय में दायर इस याचिका की खास बातें

सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दल मतदाताओं को गलत तरीके से लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने की घोषणाएं करते हैं। ऐसा करना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में एक बाधा है।

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सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने वाली घोषणाएं करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता खत्म करने की मांग पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है।

इस याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दल मतदाताओं को गलत तरीके से लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने की घोषणाएं करते हैं। ऐसा करना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में एक बाधा है। ऐसा करना भारतीय दंड संहिता की धारा 171बी और 171सी के तहत अपराध है।

याचिका में क्या है?
याचिका में मांग की गई है कि न्यायालय निर्वाचन आयोग को दिशा-निर्देश जारी करे कि वह राजनीतिक दलों के लिए एक अतिरिक्त शर्त जोड़े कि वे मुफ्त में उपहार देने की घोषणाएं नहीं करेंगे। याचिका में कहा गया है कि आजकल एक राजनीतिक फैशन बन गया है कि दल अपने घोषणापत्र में मुफ्त बिजली की घोषणा करते हैं। ये घोषणाएं तब भी की जाती हैं, जब सरकार लोगों को 16 घंटे की बिजली भी देने में सक्षम नहीं होती है। याचिका में कहा गया है कि मुफ्त की घोषणाओं का लोगों के रोजगार, विकास या कृषि में सुधार से कोई लेना-देना नहीं होता है लेकिन मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसी जादुई घोषणाएं की जाती हैं।

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