किसकी फंंडिंग से बॉर्डर पर टिके हैं टिकैत? बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया

तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के साथ ही फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग पर गंभीरता से विचार करने के केंद्र सरकार के आश्वासन के बावजूद ये अपना आंदोलन जारी रखने पर आमादा है।

84
पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे चंद किसान अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के साथ ही फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग पर गंभीरता से विचार करने के केंद्र सरकार के आश्वासन के बावजूद ये अपना आंदोलन जारी रखने पर आमादा है। इस स्थिति में उनके खाने-पीने से लेकर तमाम तरह के खर्च के लिए पैसे कहां से आ रहे हैं, इसे लेकर सवाल उठते रहे है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने इसे लेकर उन पर निशाना साधा है।
भानु प्रताप सिंह ने कहा है कि राकेश टिकैत फंडिंग के ऊपर काम करते हैं। कांग्रेस की फंडिंग से ये आंदोलन चल रहा है। कानून वापस ले लिए गए हैं, फिर भी ये बॉर्डर खाली नहीं करेंगे। ये ऐसे नहीं बलपूर्वक हटेंगे।
केंद्र सरकार का सकारात्मक रुख
बता दें कि शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन 29 नवंबर को केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही एमएसपी को लेकर भी उसने सकारात्मक पहल करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा से पांच किसान नेताओं के नाम मांगे हैं, ताकि इस मामले के समाधान के लिए उनसे चर्चा की जा सके। एसकेएम ने सरकार को अपने पांच प्रतिनिधियों के नाम भी जारी कर दिए हैं। इसके बावजूद राकेश टिकैत समेत कुछ किसान नेता आंदोलन समाप्त करने को तैयार नहीं हैं। इस कारण इनकी मंशा पर संदेह होना स्वाभाविक है।
टिकैत इसलिए जारी रखना चाहते हैं आंदोलन
भारतीय जनता पार्टी के नेता इन पर पहले से ही कांग्रेस और कुछ दूसरी विपक्षी पार्टियों को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिए आंंदोलन जारी रखने का आरोप लगाते रहे हैं। इसी कड़ी में बीकेयू अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने उन पर एक बार फिर निशाना साधा है।
पांच राज्यों में होने हैं चुनाव
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि 2022 में शुरू के ही महीनों में उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत देश के पांच राज्यों मे चुनाव होने हैं। भाजपा का आरोप है कि ये कथित किसान नेता इस चुनाव में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों को लाभ पहुंचाने के लिए आंदोलन जारी रखना चाहते हैं। यही नहीं, राकेश टिकैत ने तो 2024 तक इस आंदोलन को जारी रखने की बात कही है। 2024 में देश में लोकसभा चुनाव कराए जाएंगे।
Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.