पश्चिम बंगाल: मुस्लिम से ममता, हिंदू ओबीसी का आरक्षण बांग्लादेशी और रोहिंग्या को

मुस्लिम आरक्षण की आवश्यकता को लेकर समय समय पर प्रश्न खड़े होते रहे हैं। तुष्टीकरण की नीतियों से इसको जोड़कर देखा जाता रहा है। इसका परिणाम हिंदू समाज को कैसे भुगतना पड़ता है, इसका ताजा प्रमाण सामने आया है।

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हंसराज अहिर

मुस्लिम आरक्षण के रूप में पश्चिम बंगाल सरकार के इस्लाम प्रेम की एक और कहानी सामने आई है। जिसमें ममता बनर्जी सरकार ने हिंदू ओबीसी (अन्य पिछड़ी जातियां) का आरक्षण मुस्लिमों को दे दिया है। इसके लिए राज्य सरकार ने मुस्लिमों के विभिन्न फिरकों को ओबीसी आरक्षण सूची में शामिल किया है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहिर ने बताया कि, संविधान ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आदिवासियों को आरक्षण दिया है। जिसे, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने मुस्लिम समाज को दे दिया है। यह गंभीर प्रकरण है। हंसराज अहिर के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को पत्र लिखा था। इसके अनुसार बंगाल मेंओबीसी श्रेणी में आरक्षण की लाभार्थी जातियों में 197 जातियों का समावेश किया गया है। जिसमें से 118 फिरके मुस्लिमों के हैं, जबकि मात्र 61 हिंदू जातियों को ओबीसी आरक्षण दिया गया है। पश्चिम बंगाल में हिंदू ओबीसी की संख्या से मुस्लिमों की संख्या अधिक है। वहां के मुस्लिमों में बाग्लादेश और म्यांमार से घुसपैठ करके आए रोहिंग्या और बांग्लादेशी की बड़ी संख्या है। इससे बंगाल में मुस्लिमों की संख्या कई गुना बढ़ी है।

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बिहार, पंजाब समेत विपक्ष शासित राज्य पर निशाना
हंसराज अहिर ने पश्चिम बंगाल के अलावा बिहार, पंजाब और राजस्थान में भी आरक्षण का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया है कि, इन राज्यों में आरक्षण ठीक से लागू नहीं हो रहा है। बता दें कि, कर्नाटक में मुस्लिमों को दिये गए आरक्षण को भाजपा सरकार ने समाप्त करने की घोषणा की थी। परंतु, कांग्रेस की सत्ता आने के साथ ही पूर्व की भाजपा सरकार के आरक्षण संबंधी निर्णय को रद्द कर दिया गया है। कर्नाटक में मुस्लिमों ने कांग्रेस को एकमुश्त समर्थन दिया है। उसके लिए उन्होंने शर्तें भी रखी थीं। जिसमें आरक्षण को फिर से लागू करने की शर्त भी थी।

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