मानवाधिकार आयोग ने भेजा इन राज्यों नोटिस… जानिये क्या है प्रकरण

कोविड 19 संक्रमण से जहां देश के अधिकांश हिस्से लॉकडाउन और कड़े दिशा निर्देशों का सामना कर रहे हैं वहीं किसान आंदोलन के नाम पर भीड़ इकट्ठा करना लगातार जारी है। कोरोना के कारण अधिकांश नौकरी पेशा लोग घरों से कार्य कर रहे हैं, मजदूर वर्ग का काम ही चला गया है, ऐसे में चंद लोग नियमों की लगातार धज्जियां उड़ाते रहे हैं।

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने किसान यूनियनों के आंदोलन के प्रकरण को अब गंभीरता से लिया है। महामारी काल में इकट्ठा होनेवाली हजारो की भीड़ से संक्रमण के खतरे को देखते हुए आयोग ने पूछा है कि राज्यों ने इसे रोकने के लिए क्या किया है। इसकी कार्रवाई रिपोर्ट आयोग के समक्ष पेश किया जाए।

आयोग ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश हरियाणा को कार्रवाई को लिखा है कि महामारी काल में किसान आंदोलन के नाम पर इकट्ठा हो रहे लोग अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं साथ ही ग्रामीण अंचल में महामारी का संक्रमण फैलाने का काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति को रोकने के लिए इन राज्यों ने क्या कार्रवाई की इसकी रिपोर्ट आयोग के समक्ष दी जाए।

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ये लिखा है नोटिस में

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जानकारी दी है कि, आयोग ने शिकायकर्ता का संज्ञान लिया है। उसके अनुसार आंदोलन करनेवाले किसानों की भारी भीड़ कोरोना दिशानिर्देशों की अवहेलना, केंद्र सरकार द्वारा जारी नियमों का उल्लंघन और महामारी से सुरक्षा हेतु कमीशन की एडवाइजरी के विरुद्ध है। आरोप है कि जैसे-जैसे किसानों की आंदोलन में भीड़ बढ़ेगी परिस्थिति दिनों दिन बिगड़ेगी। वे मात्र अपना जीवन ही खतरे में नहीं डाल रहे हैं बल्कि कोविड 19 वायरस के संभावित वाहक हो सकते हैं। जिनसे ग्रामीण क्षेत्र में वायरस का प्रकोप बढ़ सकता है।

इसलिए, आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। उनसे कहा गया है कि उन्होंने किसानों की भीड़ में कोविड 19 संक्रमण को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की है, इसकी रिपोर्ट चार सप्ताह में सौंपें।

नोटिस जारी करते हुए आयोग ने देखा कि देश कोरोना की दूसरी लहर के भयावह दौर से गुजर रहा है। इसने पहले ही तीन लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है और अभी भी देश के विभिन्न क्षेत्रों में फैल रहा है।

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यह भी देखने में आया है कि केंद्र और राज्य सरकार पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बाद भी पूरी शक्ति से लोगों की जान बंचाने में लगी हैं। लॉकडाउन, कन्टेनमेंट जोन, कोविड प्रोटोकॉल अपनाकर जानलेवा कोविड को किसी तरह नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। कोविड के कारण ही अब ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस जैसी बिमारियां बढ़ रही हैं। इन असाधारण परिस्थितियों में हमारा एकमात्र उद्देश्य है लोगों की जान बचाना।

शिकायत में यह भी उल्लेखित है कि 300 किसानों की जान गई है। जिसमें अन्य कारणों और कोविड भी शामिल है। इस प्रकरण में शिकायतकर्ता ने आयोग से हस्तक्षेप की मांग की है क्योंकि 26 मई 2021 को किसान यूनियन के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा होने की योजना में हैं।

 

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