शस्त्र चलाना सीखना जरुरी है, ताकि देश के लिए जरुरत पड़ने पर हथियार उठा सकें, मंजिरी मराठे की अपील

23 अक्टूबर को मुंबई के दादर स्थित स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से सावरकर सभागार में शस्त्रपूजन का आयोजन किया गया था।

94

स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे ने इजरायल पर हमास के हमले को याद करते हुए कहा कि जो हालात आज इजरायल में हैं, वो भारत में भी पैदा हो सकते हैं। क्योंकि कुछ ताकतें ऐसा करने की कोशिश कर रही हैं। आज इजरायल में महिलाएं से लेकर हर कोई मातृभूमि की रक्षा के लिए हथियार उठा रहा है। उनके आदर्श को अपने सामने रखते हुए हमारे युवाओं को भी शस्त्र चलाने में पारंगत होना चाहिए। इसलिए, आज हम केवल शस्त्र की पूजा नहीं कर रहे हैं, हम एक संदेश दे रहे हैं कि जब देश को आवश्यकता होगी, तो हम हथियार उठाएंगे।

23 अक्टूबर को मुंबई के दादर स्थित स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से सावरकर सभागार में शस्त्रपूजन का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर वे बात कर रही थीं। इस कार्यक्रम में स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर और कार्यवाहक राजेंद्र वराडकर भी उपस्थित थे। इनके साथ ही स्मारक में होने वाली सभी गतिविधियों के प्रशिक्षक, प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्र और उनके अभिभावक भी उपस्थित थे। इस अवसर पर शस्त्र पूजन किया गया। साथ ही कलाप्रबोधिनी की ओर से गणेश स्तुति पर कथक नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

वीर सावरकर की कूटनीति की आज भी जरुरत
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मंजिरी मराठे ने कहा कि अंग्रेज हमें हथियार उठाने की मंजूरी नहीं देते थे। उस समय उन्होंने भारतीयों के लिए शस्त्र प्रतिबंध कानून पारित किया था, तब वीर सावरकर ने कहा था कि अंग्रेजी सेना में भर्ती हो जाओ और शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण लो। ताकि समय आने पर आप अंग्रेजों के खिलाफ हथियार चला सकें। उन्होंने यह भी कहा कि सावरकर की इस कूटनीति की जरूरत हम आज भी महसूस कर सकते हैं।

सावरकर स्मारक के खिलाड़ियों का दुनिया भर में डंका
-स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक पर खेल के रूप में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इसके खिलाड़ियों ने  कई पदक जीते हैं और स्मारक का नाम दुनिया भर में रोशन किया है। इसकी जानकारी शस्त्रपूजा के दौरान इन गतिविधियों के प्रशिक्षकों ने दी। बॉक्सिंग कोच राजन जोथड़ी ने बताया कि बॉक्सिंग में स्मारक के एथलीटों ने अब तक विभिन्न स्पर्धाओं में 61 स्वर्ण, 16 रजत और एक कांस्य पदक जीता है।

– ताइक्वांडो कोच राजेश खिलारी ने बताया कि सावरकर स्मारक में ताइक्वांडो प्रशिक्षण के 10 साल पूरे हो गए हैं। पहले इसे मार्शल आर्ट के रूप में लिया जाता था, लेकिन अब ये एक खेल बन गया है। इसलिए जहां अन्य जगहों पर तायक्वांडो को एक खेल के रूप में सिखाया जाता है, वहीं सावरकर स्मारक में इसे एक खेल और लड़ाई दोनों के रूप में सिखाया जाता है।

-खिलारी ने कहा, ”ताइक्वांडो के जरिए हम अपने बच्चों को इस तरह से तैयार कर रहे हैं कि जब देश को इनकी जरूरत होगी तो ये सबसे आगे रहेंगे।” सावरकर स्मारक में ताइक्वांडो का प्रशिक्षण ले रहे एथलीटों ने हाल ही में एशियाई चैंपियनशिप में 5 पदक जीते। इस अवसर पर पांचों बच्चों ने परफॉर्म किया।

-हिन्दुओं का सैन्यीकरण और राजनीति का हिन्दूकरण वीर सावरकर का सिद्धांत था। इन्हीं सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक पर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रशिक्षण कक्षाएं संचालित की जाती हैं। प्रतियोगी परीक्षा गाइड महेश कुलकर्णी ने बताया कि इसके अलावा यूट्यूब पर भी निःशुल्क मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाता है।

– आरोही तलवलकर ने कथक कक्षा की ओर से प्रतिनिधि भाषण दिया। कलाप्रबोधिनी के सहयोग से स्मारक में 250 से अधिक छात्र प्रशिक्षण लेते हैं। उन्होंने कहा कि गुरुवर रूपाली देसाई के मार्गदर्शन में कई छात्रों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.