न सवाल न जवाब, सिर्फ दो दिन चलेगा महाराष्ट्र विधान सभा का सत्र

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मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा का दो दिवसीय अधिवेशन सोमवार से शुरू होने जा रहा है। कोरोना महामारी को देखते हुए इस सत्र को दो दिनों का रखा गया है। इस सत्र में आम विधानसभा सत्रों की अपेक्षा कई संसदीय कार्य नहीं होंगे। एक नजर कार्य तालिका पर…
कोरोना में प्रश्न करोना
इस अधिवेशन का समय मात्र दो दिनों का होने के कारण कई संसदीय कार्य इस सत्र में स्थान नहीं पा सकेंगे। जिनमें लक्षवेधी और तारांकित प्रश्न नहीं होगा। हालांकि इसके बावजूद राज्य सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर विपक्ष घेरने की कोशिश जरूर करेगा। विधान सभा सत्र सुबह 11 बजे और विधान परिषद का सत्र 12 बजे शुरू होगा। सत्र के दौरान सरकार मंत्रिमंडल के विभिन्न निर्णयों को पेश करेगी जिससे उन्हें कानूनी रूप दिया जा सके। इस सत्र में कुल 13 नए विधेयक पेश किये जाएंगे। इसके अलावा 2020-2021 की पूरक मांगों को भी पेश किया जाएगा। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजीराव पाटील निलंगेकर, विधायक अनिल राठोड, सुधाकर पंत परिचारक के निधन पर शोक प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
छाया रहेगा कोरोना और सुशांत सिंह प्रकरण का मुद्दा
अधिवेशन की कालावधि एकदम कम होने के कारण महत्वपूर्ण विधायकी कार्यों के अलावा किसी कार्य का समय ही नहीं बचेगा। लेकिन इसके बावजूद उम्मीद है कि राज्य में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप में सरकार द्वारा उठाए गए कदम और सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले में जांच के तरीके पर विपक्ष सरकार को घेरने का प्रयत्न कर सकता है।
विधान सभा अध्यक्ष को कोरोना
अधिवेशन शुरू होने के दो दिन पहले विधान सभा अध्यक्ष नाना पटोले कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। यह जानकारी खुद विधान सभा अध्यक्ष ने ट्वीट करके दी है। उन्होंने बताया कि पूरे विदर्भ में बाढ़ जैसी स्थिति है और दूसरे सामाजिक कार्यों के कारण लगातार दौरे करने पड़े इस बीच मैं कोरोना संक्रमित हो गया। मैं बिल्कुल ठीक हूं। आप सभी चिंता न करें। पिछले दिनों मेरे संपर्क जो में लोग आए हैं वे भी कोरोना जांच करवा लें। मैं भी जल्द ही कोरोना को मात देकर आपके बीच उपस्थित हो जाउंगा।
कई विधायक भी रहेंगे अनुपस्थित
वर्षाकालीन अधिवेशन में अपनी अनुपस्थिति को लेकर कई विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर सूचित किया है। इसमें कुछ ने अपनी बढ़ती उम्र की तो कुछ ने अपनी अस्वस्थता का उल्लेख किया है। इन पत्रों को संज्ञान में लेने पर लगभग 25 प्रतिशत विधायकों के अनुपस्थित रहने का अंदेशा है।

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