Lok Sabha Elections: भाजपा के पास स्टार प्रचारकों की फौज, कांग्रेस के पास गिन के तीन! जानिये, बाकी पार्टियों का क्या है हाल

अगर एक नजर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने वाले नेताओं यानी स्टार प्रचारकों पर नजर डालें तो यह कहना मुश्किल नहीं है कि  भारतीय जनता पार्टी के पास इनकी संख्या काफी अधिक है।

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महेश सिंह
Lok Sabha Elections का चक्रव्यूह रचा जा चुका है। सबसे बड़ी पार्टी भाजपा(Biggest party BJP) के साथ ही कांग्रेस(Congress) सहित अन्य सभी पार्टियों ने चुनावी समर में उतरने के लिए कमर कस ली है। बस, भारतीय चुनाव आयोग(Election Commission of India) द्वारा तिथियों की घोषणा होना बाकी है। वैसे, अप्रैल-मई में चुनाव कराए जाने की संभावना है। तारीखों की घोषणा इस महीने के दूसरे सप्ताह में होने की उम्मीद है। चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही चुनावी संग्राम(electoral battle) शुरू हो जाएगा। लेकिन वर्तमान स्थितियों को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव में भाजपा को एक बार फिर बहुमत मिलना तय है। लेकिन अभी से विपक्षी पार्टियां(opposition parties) अगर अपनी हार मान लेंगी तो चुनाव का रोमांच ही खत्म हो जाएगा। इसलिए वे कह रही हैं, इस बार भाजपा की नहीं बनेगी सरकार, इंडी गठबंधन को जीताने के लिए मतदाता हैं बेकरार। मन बहलाने के लिए विपक्ष का यह ख्याल बुरा नहीं है। फिलहाल मीडिया को भी चुनाव का चरम रोमांच चाहिए। वैसे भी देश में लोकतंत्र है इसलिए सब कुछ परंपरा और नियम-कानून से ही होना सबके मन की बात है।

विपक्ष पर भारी भाजपा की संकल्प विकास यात्रा
फिलहाल इस चुनाव में जो स्टार वॉर देखने को मिलेगा, उस पर मीडिया के साथ ही आम लोगों की भी विशेष नजर है। वैसे, सच कहें तो पिछले छह महीनों से भी पहले से भाजपा सहित सभी पार्टियों ने चुनाव के लिए जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां संकल्प विकास यात्रा निकालने के साथ ही कई तरह की योजनाओं और घोषणाओं से मतदताताओं पर अपनी पकड़ मजबूत बना रखी है, वहीं राहुल गांधी ने भी भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकालकर मतदाताओं को जोड़ने की मुहिम चला रखी है। इसके साथ ही सपा, शिवसेना,जेडीयू, राजद के साथ ही अन्य क्षेत्रीय पार्टियों ने भी तैयारियां शुरू कर रखी हैं। हालांकि इनकी यह तैयारी मतदाताओं को लुभाने में कितनी कामयाब होंगी, इस बारे में दावे के साथ कुछ भी कह पाना मुश्किल है।

भाजपा के पास स्टार प्रचारकों की फौज
वैसे, अगर एक नजर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने वाले नेताओं यानी स्टार प्रचारकों पर नजर डालें तो यह कहना मुश्किल नहीं है कि  भारतीय जनता पार्टी के पास इनकी संख्या काफी अधिक है। भाजपा के पास स्वयं मोदी सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं। इनके बाद अमित शाह, पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंता विस्ब सरमा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित अनुराग ठाकुर जैसे फायर ब्रांड नेता भी मौजूद हैं।

कांग्रेस के पास गिन के तीन
कांग्रेस की बात करें तो गांधी परिवार के सदस्य राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आलावा ऐसे कोई स्टार प्रचारक नहीं दिखते, जो मतदाताओं को पार्टी की ओर आकार्षित कर सकें। फिलहाल हम विभिन्न पार्टियों के स्टार प्रचारकों की विशेषताओं के साथ ही पार्टियों की शक्ति के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।

भाजपा के स्टार प्रचारक
नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश ही नहीं दुनि़या के सर्वश्रेष्ठ नेताओं में शुमार होते हैं। उनके जादुई व्यक्तित्व का लोहा विपक्ष भी मानता है। बिना थके, बिना रुके देश और पार्टी के हित में काम करने के उनके जजबे के सामने अन्य पार्टी का कोई नेता नहीं दिखता। 2014 से अभी तक के सभी चुनाव चाहे वो लोकसभा हो या विधानसभा हो, उनके चेहरे पर लड़े गए और अधिकांश में बंपर जीत हासिल की। आज देश और भाजपा की जो फौलादी मजबूती दिखती है, उसके केंद्र मे मोदी ही है।

अमित शाह
भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह के काम करने का अपना अलग ही अंदाज है। वर्तमान में देश के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में एनडीए ने एक से एक ऐतिहासिक निर्णय लेने का हौसला दिखाया। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, तीन तलाक कानून को खत्म करने के साथ ही सीएए और एनआरसी लागू करने जैसे बड़े फैसले लेने का साहत अगर सराकर ने किया तो उसका काफी श्रेय अमित शाह को जाता है। भाजपा के दूसरे नंबर के ताकतवर नेता समझे जाने वाले अमित शाह पार्टी के स्टार प्रचारक हैं। उनमें मतदाताओं को आकर्षित करने की अनुठी कला है।

राजनाथ सिंह
वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जमीन से जुड़े नेता हैं। लखनऊ जैसी महत्वपूर्ण सीट से लोकसभा सांसद और एडीए सरकार में रक्षा मंत्री शाह बहुत ही सुलझे हुए राजनेता माने जाते हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी विशेष दखल है। प्रदेश की सभी 80 सीटों पर अगर भाजपा जीत का दावा कर सही है तो इसमें राजनाथ सिंह का भी बड़ा योगदान है। आरएसएस कैडर के नेता राजनाथ सिंह अच्छे वक्ता और सुलझे हुए राजनेता हैं। हर चुनाव में उनकी खास जिम्मेदारी होती है, जिसे वे सफलतापूर्वक निभाते हैं।

योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा के फायर ब्रांड नेता हैं। 37 साल की परंपरा को तोड़कर 2022 में यूपी में दूसरी बार भाजपा को जीत दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही है। राम मंदिर के निर्माण जैसे यज्ञ को बिना किसी हिंसा के पूरा करना योगी जैसे मुख्यमंत्री के बूते की ही बात है। इसके साथ ही धर्मांतरण पर रोक के लिए कानून बनाना और विकास तथा रोजगार सृजन के लिए अवसर पैदा करना,शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने के लिए एयरपोर्ट का निर्माण करना और बाहुबली तथा माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना किसी कमजोर मुख्यमंत्री के बस की बात नहीं है। भाजपा की आज जो देश में मजबूती दिखती है, उसमें योगी आदित्यनाथ का बड़ा योगदान है। उनके कद का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा सकता है। पार्टी के स्टार प्रचारक होने के कारण हर चुनाव में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

भगवा पार्टी के अन्य स्टार प्रचारक
इनके आलावा भी भाजपा के पास स्टार प्रचारकों की पूरी फौज है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री और अमेठी  से लोकसभा सांसद स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर जैसे पार्टी नेताओं की भी निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

कांग्रेस का बुरा हाल
कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के पास कहने को तो दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, कमलनाथ जैसे कई नेता हैं, लेकिन इनका जादू मतदताओं पर शायद ही चलता है। पिछले चुनावों की समीक्षा के आधार पर अगर मतदाताओं पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे के आलावा कोई ऐसा नेता कांग्रेस में नहीं दिखता, जिन्हें स्टार प्रचारक कहा जाए।

राहुल गांधी
कांग्रेस के युवराज के रूप में प्रसिद्ध राहुल गांधी देश के युवाओं के एक खास वर्ग को पसंद आते हैं। हालांकि ऐन चुनाव से पहले उनके बचकाने बयान के चलते कांग्रेस को भारी नुकसान होने की बात सामने आती रही है। इसके बावजूद वे कांग्रेस के स्टार प्रचारक माने जाते हैं, तो इसका ये कारण है कि वे गांधी परिवार के सदस्य हैं और दूसरा पार्टी के पास कोई कद्दावर नेता नहीं है। कांग्रेस को हाल के हुए पांच  राज्यों के चुनावों में पार्टी ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ हिंदी पट्टी के दो राज्य गंवा दिए।  हालांकि दिल बहला देने के लिए पार्टी कह सकती है कि उसने इस बीच हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में जीत हासिल कर काफी हद तक भाजपा से हिसाब चुकता कर लिया। लेकिन राजस्थान और छत्तीसढ़ की हार की तुलना में तीन छोटे-छोटे राज्यों में जीत काफी छोटी है। पांच राज्यों में चुनाव से पहले राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। अब लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भार जोड़ो न्याय यात्रा निकाली है। लेकिन इसका लोकसभा चुनाव में पार्टी को कितना लाभ होगा, ये तो वक्त ही बताएगा।

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प्रियंका गांधी वाड्रा
प्रियंका गांधी कांग्रेस की महासचिव हैं। उन्होंने अभी तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ा है। इसके साथ ही उन्हें जो भी जिम्मेदारी पार्टी ने दी है, उस कसौटी पर वे खरी नहीं साबित हुई हैं। हालांकि पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव के समय उत्तर प्रदेश में प्रभारी जैसी बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां दीं, लेकिन पार्टी को कोई लाभ तो नहीं हुआ, नुकसान बहुत हुआ। पार्टी को 2017 के चुनाव में 7 सीटों पर जीतने वाली कांग्रेस को 2022 में मात्र 2 सीटों से संतोष करना पड़ा। इसके बावजूद वे पार्टी में स्टार प्रचारक मानी जाती हैं। इस बार सोनिया गांधी के राजस्थान से राज्यसभा में जाने के बाद खाली हुई रायबरेली से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा है।

मल्लिकार्जुन खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और ऐसा माना जाता है कि साउथ के दो राज्याों कर्नाटक और तेलंगाना में जीत में उनका बड़ा योगदान रहा है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश में जीत का सेहरा भी उनके सिर बंधता है, लेकिन 81 साल के खड़गे न तो अच्छे वक्ता माने जाते हैं। कुल मिलाकर दक्षिण भारत को छोड़ दें तो देश के अन्य हिस्से में मतदाताओं पर उनका जादू चलेगा, इसमें संदेह है।

अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का हाल
इन दो राष्ट्रीय पार्टियों को छोड़ दें तो क्षेत्रीय पार्टियों के पास उंगलियों पर गिने जाने वाले प्रचारक ही मौजूद हैं। आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल, सपा में अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के आलाव दूसरा कोईन प्रचारक नहीं दिखता। उसी तरह बसपा में मायावती के आलावा और कोई बड़ा प्रचारक नहीं नजर आता। महाराष्ट्र की क्षेत्रीय पार्टियों की बात करें, तो ठाकरे गुट में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और संजय राउत के आलावा कोई बड़ा प्रचारक नहीं है। शिंदे गुट का भी यही हाल है, शरद पवार और अजीत पवार की भी स्थिति ऐसी ही है। अन्य प्रदेशों की क्षेत्रीय पार्टियों का भी ऐसा ही हाल है।

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