Lok Sabha elections 2024: क्या इन राज्यों में खाता खोल पाएगी कांग्रेस?

सर्वेक्षण से पता चला है कि उत्तर भारत में अपने मजबूत प्रदर्शन के बीच नरेंद्र मोदी सरकार को तीसरा कार्यकाल मिलने की पूरी संभावना है, जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी एक बार फिर हार की स्थिति में होंगे, लेकिन सरकार के गठन के साथ दक्षिण भारत में अच्छी लड़ाई दिखाएंगे।

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Lok Sabha elections 2024: जैसे-जैसे भारत (India) अगले कुछ महीनों में अठारहवीं लोकसभा (Eighteenth Lok Sabha) के गठन के लिए तैयार हो रहा है, मतदाताओं (voters) का मूड बदल रहा है। इंडिया टुडे ग्रुप ने लोकसभा की सभी 543 सीटों पर ओपिनियन पोल (opinion poll) कराया, जिसमें दावा किया है, लगभग 35,000 उत्तरदाताओं ने अपनी राय दी।

सर्वेक्षण से पता चला है कि उत्तर भारत में अपने मजबूत प्रदर्शन के बीच नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार को तीसरा कार्यकाल मिलने की पूरी संभावना है, जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी एक बार फिर हार की स्थिति में होंगे, लेकिन सरकार के गठन के साथ दक्षिण भारत में अच्छी लड़ाई दिखाएंगे। एनडीए को लोकसभा में 300 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। इंडी ब्लॉक को 166 और अन्य को 42 सीटें मिलने की संभावना है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे राज्य भाजपा के साथ जाएंगे।

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दिल्ली का दंगल
लम्बी बातचीत और संघर्ष के बाद कांग्रेस और आप में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर आ गईं हैं। आप दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से चार पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कांग्रेस बाकी तीन सीटों पर लड़ेगी। सर्वेक्षण की मने तो भाजपा इस बार भी सभी सात सीटें जीत लेगी। लेकिन सवाल वही बना हुआ कि क्या नेताओं के साथ आने भर से ही चुनाव जीता जा सकता है। दिल्ली पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा का गढ़ रही है। 2019 में, दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटें – चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, नई दिल्ली, उत्तर पश्चिम दिल्ली, पश्चिम दिल्ली और दक्षिण दिल्ली – भाजपा ने जीतीं। 2014 में भी बीजेपी ने कांग्रेस को हराकर ये सभी सीटें जीती थीं। 2014 से पहले, 2009 के चुनावों में कांग्रेस ने सभी सात लोकसभा सीटें जीती थीं, जबकि 2004 के चुनावों में पार्टी ने छह सीटें जीती थीं। सबसे पुरानी पार्टी एक सीट पर भाजपा से हार गई थी, उस पर भाजपा उम्मीदवार ने केवल 3.34 प्रतिशत वोट अंतर से जीत हासिल की थी।

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पश्चिम बंगाल
हालांकि, पोल के मुताबिक, आश्चर्यचकित करने वाला राज्य पश्चिम बंगाल होगा, जहां 42 सीटों में से बीजेपी को 19 सीटें, कांग्रेस को 1सीट और टीएमसी को 22 सीटें मिलने की संभावना है। गौरतालब है कि लोकसभा में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी का जीतना भी मुश्किल नजर आ रहा है। कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई तृणमूल कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन के सख्त खिलाफ है और वह वाम दलों के साथ चुनाव लड़ना चाहेगी। कांग्रेस ने वाम दलों के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा था,जिसमें उनका प्रदर्शन बहुत बुरा रहा था। पश्चिम बंगाल कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी अपने कड़े ममता विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, कैश-फॉर-क्वेरी के आरोप में लोकसभा से निष्कासित तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा के लिए उनका समर्थन, लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ दोनों पार्टियों के एक साथ आने की उम्मीद की किरण हो सकती है।

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उत्तर प्रदेश
लोकसभा सीटों की की नजर से देखें तो उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, इसमें कुल 80 लोकसभा सीटें है और राजनति के जानकारों की मानें तो दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है। यहां भाजपा की सरकार है और लोक सभा में भी मजबूत नजर आ रही है। वहीं विपक्ष समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के लिए आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीट-साझाकरण समझौते की घोषणा की, जो इंडी गठबंधन में विवादास्पद सीट वार्ता में पहली बड़ी सफलता है। एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों पार्टियों ने ऐलान किया कि यूपी में एसपी 63 सीटों पर और कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए गृह राज्य रहा है सभी गांधी- नेहरू परिवार के सदस्य इसी राज्य से लोकसभा चुनाव लड़ते रहें हैं। लेकिन पिछले चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी की हार के बाद यह गढ़ सुरक्षित नहीं रहा है। सोनिया गांधी के राजस्थान से राज्यसभा जाने के बाद उत्तर प्रदेश में गांधी-नेहरू परिवार और कांग्रेस दोनों अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते नजर आएंगे। उत्तर प्रदेश में बीजेपी+72, कांग्रेस+1, अन्य 7 सीटें मिलने की संभावना है। और ये एक सीट तभी मुमकिन है, जब कोई गांधी परिवार से सोनिया गांधी के सीट रायबरेली से चुनाव लड़ता है। इसमें प्रियंका गांधी का नाम सबसे आगे है।

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