UP: भाजपा ने 40 साल में लगाई 44 प्रतिशत वोट की लंबी छलांग, इस बार है ‘इतने’ का लक्ष्य

2019 में भाजपा का मत प्रतिश बढ़कर 49.6 हो गया। हालांकि इस बार उसकी सीटों की गिनती कम होकर 62 हो गई। सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस का वोट प्रतिशत क्रमश: 18.11, 19.42, 1.68 और 6.38 रहा।

94

UP: भारतीय जनता पार्टी(B J P) ने 1980 में अपनी स्थापना(Established in 1980) के चार वर्ष बाद संसदीय चुनाव में पर्दापण(Debut in parliamentary elections) किया था। 1984 में अपने पहले संसदीय चुनाव उत्तर प्रदेश में भले ही भाजपा का राजनीतिक कद और हैसियत ज्यादा नहीं थी। लेकिन उप्र की राजनीतिक जमीन(political ground of Uttar Pradesh) पर पिछले 40 वर्षों में हुए 10 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 44 फीसदी वोटों का इजाफा(BJP increased votes by 44 percent) कर लंबी छलांग लगाई है। इन वर्षों में भाजपा ने अपनी सांगठनिक ताकत को न सिर्फ बढ़ाया, बल्कि चुनावी रणनीति(election strategy) को लगातार धार दी है।

1984 में केवल 50 सीटों पर लड़ा चुनाव
1984 के चुनाव में उप्र की कुल 85 सीटों में से 50 पर चुनाव लड़ा। ये भाजपा का पहला संसदीय चुनाव था। इस चुनाव में प्रदेश की एक भी सीट पर उसे जीत का स्वाद चखने का मौका नहीं मिला। 2186430 वोट पाकर उसका वोट प्रतिशत 6.42 रहा। इस चुनाव के बाद हुए हर चुनाव में भाजपा ने विजय का स्वाद भी चखा और उसके वोट प्रतिशत में बढ़ोत्तरी भी हुई। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उप्र में कुल मतों में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी का लक्ष्य सामने रखा है।

2019 में वोट शेयर बढ़कर 49.6 प्रतिशत हो गया
2014 में भाजपा का वोट शेयर 42.3 प्रतिशत था, जो 2019 में बढ़कर 49.6 प्रतिशत हो गया। यानी भाजपा के वोट शेयर में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2014 और 2019 दोनों में जिन 77 संसदीय क्षेत्रों में भाजपा ने चुनाव लड़ा, उनमें से 71 पर भाजपा का वोट शेयर बढ़ा है। वहीं उसका स्ट्राइक रेट भी विपक्षी दलों की तुलना में ऊंचा है।

2014 में भाजपा ने जीती थीं 71 सीटें
पिछले दो लोकसभा चुनावों के परिणाम देखें तो उत्तर प्रदेश में भाजपा की सीटें कम हुई हैं। 2014 में भाजपा 71 सीटें जीती थी, यह कुल निर्वाचन क्षेत्रों का 88.8 प्रतिशत है। 2019 में भाजपा 62 सीटें जीती थी, यह कुल निर्वाचन क्षेत्रों का 77.5 प्रतिशत है। आंकड़ों से साफ पता चलता है कि भाजपा की सीटें घटी हैं। लेकिन वोट शेयर के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा की लोकप्रियता बढ़ी है।

1989 के आम चुनाव में भाजपा ने 31 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे। उसे 8 सीटों पर विजय मिली। भाजपा को 29 लाख 57 हजार 951 मत मिले। इस बार उसका वोट प्रतिशत बढ़कर 7.58 हो गया। 1991 में भाजपा के 84 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। 51 सीटों पर कमल खिला। वोट प्रतिशत बढ़कर 32.82 फीसदी हो गया। भाजपा प्रत्याशियों को कुल 1 करोड़ 23 लाख 6 हजार 701 मत मिले। इस चुनाव में कांग्रेस को मत प्रतिशत 18.02, बसपा का 8.7 और जनता दल का 21.27 और जनता पार्टी का 10.46 रहा।

Lok Sabha Elections 2024: बंगाल में तमलुक सीट पर भाजपा का अभिजीत गांगुली पर दांव, टीएमसी की बढ़ी टेंशन

1996 के आम चुनाव में भाजपा ने 52 सीटें जीतीं
1996 के आम चुनाव में भाजपा ने 52 सीटें जीती। उसके खाते में 1 करोड़ 53 लाख 87 हजार 632 वोट आए। मत प्रतिशत में पिछले चुनाव के अपेक्षा मामूली बढ़त के साथ 33.44 रहा। 1998 में भाजपा 57 सीटें जीती और 1999 में उसे 29 सीटों पर सफलता मिली। 1998 में उसका वोट प्रतिशत 36.49 और 1999 में 27.64 प्रतिशत रहा। 1998 के चुनाव में बसपा का वोट प्रतिशत 20.9, कांग्रेस का 6.02, जनता दल का 0.47 और सपा का 28.7 रहा। 1999 में बसपा, कांग्रेस और सपा का वोट प्रतिशत क्रमश: 22.08, 14.72 और 24.06 रहा।

2004 और 2009 में वोटों के प्रतिशत में गिरावट
2004 में भाजपा का वोट प्रतिशत 22.17 रहा और 2009 में उसका वोट प्रतिशत गिरकर 17.5 हो गया। 2004 में बसपा को 24.67, कांग्रेस को 12.04, रालोद को 4.49 और सपा को 36.74 प्रतिशत वोट हासिल हुए। 2009 में बसपा, कांग्रेस और सपा का वोट प्रतिशत क्रमश: 27.42, 18.25, 23.26 रहा। रालोद के हिस्से में 3.27 प्रतिशत मत आए।

2014 में भाजपा का वोट शेयर 42.3 प्रतिशत था।
2014 में भाजपा का वोट शेयर 42.3 प्रतिशत था। भाजपा ने 71 और उसके सहयोगी अपना दल ने 2 सीटें जीतकर विपक्ष को घुटने पर ला दिया था। इस चुनाव में कांग्रेस को 2 सीटें मिली। उसका वोट प्रतिशत 7.53 रहा। सपा के खाते में 5 सीटें आई,और उसके खाते में 22.35 प्रतिशत वोट आए। बसपा का इस चुनाव में खाता ही नहीं खुला। हालांकि उसका मत प्रतिशत 19.77 रहा।

2019 में भाजपा का मत प्रतिश बढ़कर 49.6 हो गया। हालांकि इस बार उसकी सीटों की गिनती कम होकर 62 हो गई। सपा, बसपा, रालोद और कांग्रेस का वोट प्रतिशत क्रमश: 18.11, 19.42, 1.68 और 6.38 रहा।

2024 में 60 प्रतिशत वोटों का लक्ष्य
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उप्र में कुल मतों में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। पिछले चुनाव में मिले खट्टे अनुभवों से सबक लेते हुए, भाजपा ने एनडीए के कुनबे का विस्तार पश्चिम से पूर्वांचल तक किया है। भाजपा के साथ रालोद, अपना दल सोनेलाल, सुभासपा और निषाद पार्टी है। विपक्षी गठबंधन इंडिया में सपा-कांग्रेस शामिल हैं। बसपा अकेले मैदान में है। भाजपा ने प्रदेश की सभी 80 सीटों पर जीत का नारा दिया है। ऐसे में उसका पूरा फोकस वोट प्रतिशत में बढ़ोत्तरी के साथ क्लीन स्वीप का है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.