Illegal Mining Case: सीबीआई के सामने पर पेश नहीं हुए अखिलेश यादव, अब केंद्रीय एजेंसी उठाएगी यह कदम

अखिलेश यादव ने कथित तौर पर अपने वकील के माध्यम से एजेंसी को बताया कि वह पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण जांच में शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन उन्होंने हर संभव सहयोग का वादा किया। लखनऊ में एक कार्यक्रम में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने इस मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा।

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Illegal Mining Case: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को 29 फरवरी को अवैध लघु खनिज खनन मामले (Illegal Mining Case) में अपना बयान दर्ज कराने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) (सीबीआई) के सामने पेश नहीं हुए।

अखिलेश यादव ने कथित तौर पर अपने वकील के माध्यम से एजेंसी को बताया कि वह पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण जांच में शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन उन्होंने हर संभव सहयोग का वादा किया। लखनऊ में एक कार्यक्रम में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने इस मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा।

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बीजेपी साधा पर निशाना
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने सीबीआई को सत्तारूढ़ भाजपा की एक शाखा बताया और आम चुनाव से पहले उन्हें समन भेजे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अखिलेश यादव ने लखनऊ स्थित सपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही, “चुनाव से पहले सम्मन, वे [सीबीआई] भाजपा के प्रकोष्ठ [विंग] के रूप में कार्य करते हैं। मुझे जो कागजात मिले थे मैंने उनका जवाब दे दिया है।”

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लखनऊ जा सकती है सीबीआई
गौरतलब है की सीबीआई ने बतौर गवाह अखिलेश यादव को बुलाया है, ऐसे में वो लखनऊ आकर भी पूछताछ कर सकती है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बयान दर्ज हो पाना मुश्किल माना जा रहा है। जानकारों के अनुसार अखिलेश को 15 दिन बाद सीबीआई फिर से नोटिस भेजकर तलब कर सकती है। हालांकि अखिलेश दिल्ली जाकर अगर जांच एजेंसी को अपना बयान दर्ज नहीं करवाते तो जांच अधिकारी उनका बयान लखनऊ आकर भी दर्ज कर सकते हैं। अगर सीबीआई को कोई नया तथ्य उनके बयान से मिलता है तो जांच को नया मोड़ मिल पाएंगा। सूत्रों के अनुसार अखिलेश से खनन पट्टों के आवंटन के संबंध में पंचम तल पर किए गये निर्णय पर प्रश्न पूछे जाने हैं।

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यह है मामला
समाजवादी पार्टी प्रमुख और उनके पूर्व सहयोगी गायत्री प्रजापति के पास चेक अवधि के दौरान राज्य में खनन विभाग था। एजेंसी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामला दर्ज किया था। इसमें तत्कालीन हमीरपुर जिलाधिकारी बी. चंद्रकला, खनन अधिकारी मोइनुद्दीन और खनन लिपिक राम आश्रय प्रजापति समेत कई पट्टाधारकों को नामित किया गया था।आरोप था कि 2012-16 के दौरान लोक सेवकों ने हमीरपुर में लघु खनिजों के अवैध खनन की अनुमति दी थी। उन्होंने अवैध रूप से रेत के खनन के लिए नए पट्टे दिए, मौजूदा पट्टों का नवीनीकरण किया और मौजूदा पट्टाधारकों को “बाधित अवधि” की भी अनुमति दी। अनाधिकृत व्यक्तियों ने गौण खनिजों का उत्खनन और चोरी की तथा पट्टाधारकों और खनिज-परिवहन वाहन चालकों से धन की उगाही की।

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