…तो महाराष्ट्र में भी लागू होगा यूपी पैटर्न!

सूत्रों के अनुसार अब तक विधायक पद पर नियुक्ति के लिए जो नाम सामने आ रहे हैं उसमें इक्का-दुक्का छोड़कर सभी नाम राजनीति के क्षेत्र से हैं। इस स्थिति में राज्यपाल और सरकार से मनमुटाव के बीच सियासी लोगों के नाम नियुक्ति प्रक्रिया में ठुकराए जा सकते हैं।

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महाराष्ट्र में राज्यपाल और सरकार के बीच ऑल इज नॉट वेल वाली स्थिति है जिसका असर राज्यपाल नियुक्त विधायकों की नियुक्तियों पर पड़ सकता है। इस विषय में जो जानकारी हाथ लगी है उसके अनुसार गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में विधान परिषद के विधायकों की नियुक्तियों को लेकर चर्चा हो सकती है। इन नामों को अंतिम रूप देकर इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अंदेशा है कि वर्तमान तनातनी में राज्यपाल इन नामों की जांच करवाएं। इस बीच किसी नाम पर कोई आक्षेप आता है तो राज्यपाल उस नाम को नामंजूर भी कर सकते हैं। महाराष्ट्र की ये परिस्थितियां लगभग यूपी जैसी बन रही हैं जिसके कारण यहां भी राज्यपाल नियुक्त विधायकों के मामले में सरकार को अस्वीकार्यता और लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है।

राज्य में विधान परिषद की 12 सीटों पर नामित विधायकों की नियुक्तियां की जानी हैं। सूत्रों के अनुसार इसके लिए महाविकास आघाड़ी के तीन घटक दल शिवसेना के 4, कांग्रेस के 4 और एनसीपी के 4 नेताओं के नाम तय होने हैं। गुरुवार की कैबिनेट बैठक में इन नामों पर चर्चा करके इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है। लेकिन ये नाम राज्यपाल मंजूर करेंगे इसको लेकर संशय बना हुआ है।

इनके लिए आरक्षित हैं ये सीटें

ये 12 सीटें साहित्य, कला, सामाजिक कार्य, सहकार आदि क्षेत्रों में सक्रिय लोगों के लिए आरक्षित हैं। इस क्षेत्र के लोगों की नियुक्ति के जरिये विभिन्न लोक कलाओं और सामाजिक कार्यों से लोगों को उच्च सदन में प्रतिनिधित्व मिले यही उद्देश्य है। इसके लिए संविधान में धारा 171(3-5) के अंतर्गत उल्लेख है। इसके अनुसार सरकार द्वारा नाम तय किये जाते हैं और अंतिम सूची को राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है।

मंजूरी में राज्यपाल ले सकते हैं अधिक समय

सूत्रों के अनुसार अब तक विधायक पद पर नियुक्ति के लिए जो नाम सामने आ रहे हैं उसमें इक्का-दुक्का छोड़कर सभी नाम राजनीति के क्षेत्र से हैं। इस स्थिति में राज्यपाल और सरकार से मनमुटाव के बीच सियासी लोगों के नाम नियुक्ति प्रक्रिया में ठुकराए जा सकते हैं।
बता दें कि, शिवसेना की दशहरा रैली में भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल पर अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणियां की थीं। इसके पहले भी राज्यपाल के पत्र पर सरकार और राज्यपाल में मतभेद सामने आ चुका है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार राज्यपाल के रुख को लेकर टिप्पणी कर चुके हैं। इस स्थिति में सहजता से सरकार द्वारा भेजे जानेवाले नामों को राज्यपाल अपनी मंजूरी दे देंगे ऐसा लगता नहीं है। वैसे भी शिवसेना के जो नाम सामने आ रहे हैं उन पर आक्षेप लेने की संभावना ज्यादा है।

यूपी पैटर्न क्या है?

अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल 2015 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के 9 स्थान रिक्त हुए थे। उस समय अखिलेश यादव ने 9 नामों की सूची राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजी थी। यूपी के राज्यपाल उस समय राम नाईक थे। अखिलेश यादव द्वारा राज्यपाल की संष्तुति के लिए भेजे गए नामों पर कई आक्षेप हुए थे। जिसके बाद राज्यपाल ने जांच करके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सूचित किया कि उनके द्वारा जिन नामों को संष्तुति के लिए भेजा गया है उनमें से कुछ लोगों के नाम आपराधिक कृत्यों में दर्ज हैं। हिंदुस्थान पोस्ट से बातचीत में यूपी के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि 9 नामों में से मात्र 4 नामों को ही उन्होंने अपनी संष्तुति दी। इसके बाद 28 मार्च 2016 को विधान परिषद की एक और जगह रिक्त हो गई जिसको लेकर अखिलेश यादव ने 28 मार्च 2016 को 6 नामों की सूची सौंपी। इसके बाद 28 अप्रैल 2016 को 3 नामों को और 3 नवंबर 2016 को बचे 3 नामों को राज्यपाल ने मंजूरी दी। इन नियुक्तियों में राज्यपाल ने करीब एक साल का समय लिया।

सरकार की कैबिनेट बैठक में राज्यपाल नियुक्त सदस्यों के लिए नाम तय किये जाते हैं। इसके बाद सूची को राज्यपाल के पास सदस्यों की पूरी जानकारी के साथ भेजा जाता है।
राम नाईक, पूर्व राज्यपाल – उत्तर प्रदेश

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इन सदस्यों के कार्यकाल हो रहे खत्म

कांग्रेस – जनार्दन चांदुरकर, अनंदराव पाटील, रामहरी रुपनवर, अनंत गाडगील, रावराव वडकुते (कांग्रेस से इस्तीफा)
एनसीपी – प्रकाश गजभिये, विद्या चव्हाण, ख्वाजा बेग, जगन्नाथ शिंदे, राहुल नार्वेकर (एनसीपी से इस्तीफा)
पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी – प्रा. जोगेंद्र कवाडे

संभावित नाम की सूची

शिवसेना – सुनील शिंदे, सचिन अहिर, मिलिंद नार्वेकर, वरूण सरदेसाई, राहुल कनाल, नितिन बानगुडे पाटील, अर्जुन                  खोतकर, विजय आप्पा करंजकर
एनसीपी – एकनाथ खडसे, शिवाजी गर्जे, आदिती नलावडे, राजू शेट्टी, आनंद शिंदे, उत्तमराव जानकर
काँग्रेस – सचिन सावंत, मोहन जोशी, सत्यजीत तांबे, रजनी पाटील, नसीम खान, मुझफ्फर हुसेन, उर्मिला मातोंडकर

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