जानिये….क्यों खाली हो रहे हैं आंदोलनकारी किसानों के तंबू?

आंदोलनकारी किसानों के तंबू काफी हद तक खाली हो गए हैं।

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केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों में फूट पड़ने की खबर है। आंदोलनकारी किसानों के तंबू काफी हद तक खाली हो गए हैं। आंदोलन कर रहे आधे से ज्यादा किसान अपने गांव लौट गए हैं।

यह हो सकता है कारण
इसका कारण हाल ही में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत द्वारा बाबरी मस्जिद को लेकर दिया गया बयान बताया जा रहा है। एक टीवी चैनल को दिए गए अपने साक्षात्कार में टिकैत भावुक हो गए थे और वे रोने लगे थे। उन्होंने बाबरी मस्जिद को तोड़े जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल पर भावुक होते हुए इसके टूटने का कारण भी पूछा था। उन्होंने पूछा था कि आडवाणी,जोशी बताएं कि बाबरी मस्जिद कैसे टूटी? टिकैत ने कहा कि जब आडवाणी और जोशी  अयोध्या में थे तो भीड़ को कैसे नियंत्रित नहीं कर सके। हालांकि इस बीच भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि भीड़ के आगे बैरिकेड काम नहीं करते हैं।

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टिकैत पर राजनीति चमकाने का आोरप
बताया जा रहा है कि टिकैत के इस बयान से काफी किसान नाराज हो गए हैंं। वे टिकैत पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि इस बारे में किसी किसान नेता ने खुलकर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन अंदरुनी सूत्रों से मिली खबरों में यह बात सामने आई है कि वे टिकैत के बाबरी मस्जिद को लेकर दिए गए बयान से नाराज हैं।

किसान लौट रहे हैं गांव
बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर से बड़ी संख्या में किसान अपने गांव लौट रहे हैं। एक महीने पहले के मुकाबले अब आंदोलनकारी किसानों की संख्या आधी से भी कम रह गई है। हालांकि इस बारे में किसान नेताओं का कहना है कि  हमें पहले से पता है कि लड़ाई लंबी चलेगी, सीमाओं पर कम भीड़ होना उसी रणनीति का हिस्सा है। आंदोलन के समय भीड़ जुटाने के लिए राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। किसान नेता राकेश टिकैत ने देश भर में महापंचायत करने की योजना बनाई है। वह अगले 10 दिनों में हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान में इस तरह की बैठकों में हिस्सा लेंगे।

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क्या कहते हैं किसान नेता?
गाजीपुर प्रदर्शन समिति के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि सरकार की जिद को ध्यान में रखते हुए हम अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं, ताकि विरोध हर गांव के हर घर तक पहुंच सके। हम विभिन्न स्थानों पर महापंचायत करेंगे। उनका दावा है कि किसान कम समय में सीमाओं पर पहुंचने के लिए हमेशा उपलब्ध हैं। गाजीपुर सीमा पर एक दिन के भीतर एक लाख किसान आ सकते हैं।

टिकैत ने बताई अपनी रणनीति
राकेश टिकैत ने इस बारे में कहा है कि 10 लाख लोग यहां इकट्ठा हो जाएंगे तो क्या सरकार कृषि कानून वापस ले लेगी। हम पूरे देश में विरोध करेंगे। सभी जिलों में हमारे लोग फैल रहे हैं। बैठकें हो रही हैं।

83 दिनों से जारी है आंदोलन
बता दें कि नवंबर 2020 से ही कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच कृषि कानून के मुद्दे पर गतिरोध जारी है। इस आंदोलन के 83 दिन हो चुके हैं, लेकिन कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। 11वें दौर की बातचीत में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों के समक्ष कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने का भी प्रस्ताव रखा था, लेकिन किसान नेताओं ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

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