उत्तर प्रदेश चुनाव: भाजपा का गठबंधन तय लेकिन उस बात पर अब भी मौन

उत्तर प्रदेश में ओबीसी समाज की कुल 79 जातियां हैं। जबकि, 22 प्रतिशत के लगभग दलित वोट बैंक माना जाता है। जिसके लिए सभी पार्टियां जी तोड़ मेहनत करती रही हैं।

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भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन दलों के साथ नई दिल्ली में संयुक्त बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ अपना दल और निषाद पार्टी के नेता उपस्थित थे। इसे भाजपा का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। इस बैठक के माध्यम से गठबंधन के लिए जादू की झप्पी भाजपा ने दी है परंतु, सीट बंटवारे पर चुप्पी ही रही।

राज्य में भाजपा नित नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस का अपना दल और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन है। अमित शाह के साथ हुई बैठक में अपना दल (एस) की अनु्प्रिया पटेल, निषाद पार्टी के संजय निषाद के साथ संयुक्त बैठक हुई। इस बैठक के बाद ट्वीट करके अमित शाह गठबंधन के 300 सीटों से अधिक पर जीत प्राप्त करने का विश्वास व्यक्त किया है। परंतु, इन दलों के बीच सीट बंटवारे पर अभी भी चुप्पी बनी हुई है।

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बड़े काम के छोटे दल
उत्तर प्रदेश में छोटे-छोटे दल भले ही जीत प्राप्ति में पीछे रह जाते हों, लेकिन ये बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों की जीत का गणित उलटने में बहुत कारगर होते हैं। इसी को भांपकर भाजपा ने प्रदेश की दो प्रभावी ओबीसी पार्टियों को अपने साथ मिला लिया है। राज्य में ओबीसी समाज का लगभग 52 प्रतिशत वोट बैंक है, जिसमें से 43 प्रतिशत गैर यादव समाज का है। जो कभी किसी दल के साथ सामूहिक रूप से या निरंतर नहीं बना रहा है।

यदि अपना दल (एस) की बात करें तो कुर्मी पटेल समाज के लगभग 7 प्रतिशत मतदाता हैं, इसी प्रकार निषाद, मल्लाह, बिंद, कश्यप या केवट समाज के लगभग 6 प्रतिशत वोट हैं। इन दोनों दलों के वोट बैंक को साधने में पार्टियां लगी हुई हैं।

अपना दल का इन्कार
अपना दल की प्रमुख और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल इस बीच उन खबरों को निराधार बताया है, जिसमें कहा गया है कि, अपना दल (एस) ने भाजपा से 36 सीटों की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि, जीत एकमात्र फार्मुला है, जिसके आधार पर टिकट दिये जा रहे हैं।

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