Pashupati Paras: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका, केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने दिया इस्तीफा

पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को बिहार में एक भी सीट नहीं मिली। इसलिए केंद्रीय मंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

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भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) द्वारा लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में एक भी सीट (Seat) नहीं दिए जाने से नाराज राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (Rashtriya Lok Janshakti Party) प्रमुख पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने केंद्रीय मंत्री पद (Union Minister Post) से इस्तीफा (Resignation) दे दिया है। पशुपति पारस ने मंगलवार (19 मार्च) को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने इस्तीफे का ऐलान किया।

पशुपति पारस ने कहा कि मेरे और मेरी पार्टी के साथ अन्याय हुआ है। हमारी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई है। इस्तीफा देने से पहले पशुपति पारस मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। बिहार में सीट बंटवारे में भाजपा ने चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (रामविलास) पर ध्यान दी है। एलजेपी को पांच सीटें दी गई हैं। इससे नाराज होकर पारस ने इस्तीफा दे दिया है।

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17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी भाजपा
बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के सीट आवंटन फॉर्मूले की घोषणा हो गई है। भाजपा 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। अन्य घटक दलों जैसे दिवंगत राम विलास पासवान के बेटे और लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिरस पासवान को पांच सीटें दी गई हैं।

भाजपा को चिराग पासवान पर ज्यादा भरोसा
जीतनराम मांझी की पार्टी को एक सीट दी गई है जबकि उपेन्द्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक जनता दल को एक सीट दी गई है। पहले पशुपति पारस की आरएलजेपी एनडीए का घटक दल थी, लेकिन इस बार उन्हें एक भी सीट नहीं दी गई है। चुनावी रणनीति बनाते वक्त भाजपा ने चिराग पासवान पर ज्यादा भरोसा दिखाया है। सूत्रों के अनुसार, पशुपति पारस हाजीपुर सीट की मांग कर रहे थे जबकि चिराग पासवान भी यही सीट मांग रहे थे। हाजीपुर वही सीट है जहां से चिराग के पिता राम विलास पासवान 9 बार लोकसभा सांसद रहे। 2019 में पशुपति पारस यहां से चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे।

क्या इंडी गठबंधन के साथ जाएंगे पारस
पशुपति पारस के भतीजे चिराग पासवान को भाजपा से प्रोत्साहन मिल रहा था। इससे पारस असहज हो गए थे। भाजपा को पशुपति पारस से परहेज होने लगा था। बताया जा रहा है कि सीटों के आवंटन से पहले उनसे कोई चर्चा नहीं की गई। चूंकि भाजपा ने उनसे संपर्क नहीं किया है, ऐसे में सवाल है कि क्या पशुपति पारस इंडी गठबंधन के साथ जाएंगे।

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