स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक को समर्पित हुई वीर सावरकर के डॉक्टर की वह पुस्तक

स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) के व्यक्तित्व से प्रभावित हुए लोगों की संख्या अनगिनत रही है। इन्हीं में से डॉक्टर भी थे, जो जीवन पर्यंत वीर सावरकर के स्वास्थ्य की जांच और इलाज करते रहे।

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Swatantryaveer Savarkar स्वातंत्र्यवीर सावरकर
स्वातंत्र्यवीर सावरकर के डॉ. आर.वी.साठे पर लिखी पुस्तक स्मारक को समर्पित

स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) के डॉक्टरों को जानते हैं क्या? आदर्श पुरुषों के जीवन के जिज्ञासू यह हमेशा जानने का प्रयत्न करते हैं। स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) के तीन डॉक्टर थे, जिनमें से एक डॉक्टर रामचंद्र.वी.साठे पर आधारित पुस्तक स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) राष्ट्रीय स्मारक को भेंट की गई है।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) अपने जीवन के उत्तरार्ध में दादर स्थित निवास पर रहे। इस काल में उनके स्वास्थ्य की जांच और निदान का कार्य तीन डॉक्टरों ने किया था। जिनमें डॉ.रामचंद्र.वी.साठे, डॉ.सुभाष पुरंदरे और डॉ.अरविंद गोडबोले थे। डॉ.रामचंद्र.वी.साठे पर एक पुस्तक लिखी गई है, जिसका शीर्षक है ‘मेमोएर्स ऑफ डॉ.आर.वी. साठे’ ‘Memoirs of Dr.R.V.Sathe’। इस पुस्तक की एक प्रति डॉ.आर.वी. साठे की पौत्री शुभा प्रमोद नाईक और उनके पति प्रमोद केशव नाईक ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) राष्ट्रीय स्मारक को समर्पित की। डॉ.रामचंद्र.वी.साठे (डॉ.आर.वी. साठे’) का निधन वर्ष 2005 में ही हो गया था। उनकी पुस्तक में स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) के विषय में डॉक्टरों द्वारा संक्षिप्त जानकारियां दी गई हैं।

‘वे मृत्युंजय हैं’
स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) के निजी चिकित्सक डॉ.सुभाष पुरंदरे ‘मेमोएर्स ऑफ डॉ.आर.वी. साठे’ ‘Memoirs of Dr.R.V.Sathe’ में लिखते हैं कि, हमारी तीन पीढ़ियां अर्थात दादा, पिताजी और मैं, स्वातंत्र्यवीर सावरकर और उनके परिवार के डॉक्टर थे। साठे काका को स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) के प्रति बहुत आदर था। स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) की विद्वता और त्याग की चर्चा साठे काका हमेशा करते थे। जब भी डॉ.आर.वी. साठे को बुलाया गया, उन्होंने कभी भी वीर सावरकर से पैसे नहीं लिये। स्वातंत्र्यवीर सावरकर के अंतिम दिनों में मैंने, साठे काका को परीक्षण करने के लिए बुलाया था। उसी समय स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) अर्थात तात्या की एक पुस्तक प्रकाशित हुई थी, ‘आत्महत्या और आत्मार्पण’। वह हम सभी को पढ़ने के लिए मिली थी। स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) ने स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया था कि, आयु में इतिकर्तव्यता आ गई है, इसलिए अब कोई उपचार न किया जाए। प्रथम तात्या ने अन्न व उसके पश्चात पानी ग्रहण करना भी बंद कर दिया। उनका रक्तदाब कम हो गया। आशक्ति आ गई, इसलिए ग्लूकोज दिया जाए, इस प्रकार का विचार आया। लेकिन साठे काका (Dr.R.V.Sathe) ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया। उन्होंने कहा, वे बुद्धिमान हैं, मृंत्युजय हैं। उनके मत की अनदेखी मत करिये।

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