मजदूर हुए परदेसी, व्यापार की लगी वाट

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मुंबई। कोरोना काल में मजदूर परदेसी हो गए हैं और व्यापार का वाट लग गया है। आखिर व्यापार और अन्य काम-धंधे कैसे हों, जब काम करने वाले मजदूर ही नहीं हैं या हैं तो बहुत कम हैं। लॉकडाउन के समय मुंबई और अन्य शहरों में काम करनेवाले करोड़ों मजदूर अपने गांव जाने पर मजबूर हो गए, लेकिन अब वहां जाकर भी वे पछता रहे हैं। न वहां उनके लिए कोई ढंग का काम है और न जेब में पैसे हैं। इस हालत में वे मुंबई और अन्य शहरों में आने को छटपटा रहे हैं लेकिन आएंगे कैसे, टिकट मिलेगा तब ना। रोज तो ट्राई कर रहे हैं टिकट के लिए , लेकिन हर दिन निराशा ही हाथ लगती है।
उधर मजदूर अपने गांव-प्रदेश में परेशान हैं और इधर व्यापापारी तथा अन्य काम करनेवाले लोग भी परेशान हैं। वहां उनके पास काम नहीं है और यहां काम करनेवालों का टोटा है।
अनलॉक हो रही है मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को अब धीरे-धीरे अनलॉक किया जा रहा है। राज्य सरकार ने कुछ शर्तों के साथ होटल,दुकान,शॉपिंग मॉल और यातायात की इजाजत दे दी है। इसके साथ ही मुंबई की लाइफ लाइन लोकल ट्रेनों को भी आवश्यक सेवाओं के लिए शुरू कर दी गई है लेकिन इसमें मजदूर वर्ग और आम आदमी को सफर करने की अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में जो मजदूर यहां रह रहे हैं, उनके सामने भी अपने काम पर आना-जाना मुश्किल हो रहा है।
माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के सामने गंभीर संकट
मजदूरों की कमी के चलते माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज(एमएसएमई) के सामने गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। मुंबई और इसके उपनगरों में हजारों मध्यम और छोटी इंडस्ट्रीज हैं, जो अपना उत्पादन रफ्तार में शुरू करना चाहती हैं लेकिन मजदूरों के अभाव मे उनमें काम नहीं हो पा कर पा रहा है। जिस कंपनी में पहले 25 से 30 मजदूर काम करते थे, उनमें अब 12 से 15 मजदूर ही काम कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि गांव गए ज्यादातर मजदूर लौट नहीं पाए हैं।
इन्होंने बताई अपनी परेशानी
बिल्डिंग मे ग्रिल लगाने का काम करनेवाले अशोक यादव बताते हैं,” मेरी कंपनी के कई ऑर्डर पेंडिंग पड़े हैं, क्योंकि पहले मेरे पास 20 लोग काम करते थे। लेकिन अब सिर्फ 6 स्थानीय मजदूर ही उपलब्ध हैं। बाकी 14 उत्तर भारत के हैं, जो अभी तक वापस नहीं आ पाए हैं”।
सड़क निर्माण का ठेका लेने वाले मनोज सिंह का कहना है कि आरसीसी की रोड बनकर तैयार हो गई है , बस बगल के फुटपाथ पर डामर डालने का काम बाकी है लेकिन मजदूर के अभाव मे काम पूरा नहीं हो पा रहा है।
रुके हैं विकास कार्य
मजदूरों की कमी के कारण मुंबई और आस-पास के उपनगरों में विकास कार्य को भी गति नहीं मिल पा रही है। ठेकेदार तो काम करना चहते हैं लेकिन गांव से प्रवासी मजदूर नहीं आ पा रहे हैं। उन्हें ट्रेन का टिकट नहीं मिल पा रहा है। मजदूरों के अभाव में शहर की मेट्रों सेवा का काम भी प्रभावित हो रहा है। एमएम आरडीए के जॉइंट डायरेक्टर दिलीप कवथकर के अनुसार मेट्रो स्टेशन के अन्दर के काफी काम बाकी हैं लेकिन मजदूरों के अभाव में हम काम तेजी से नहीं कर पा रहे हैं ।

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