छात्रों का छल, अश्लीलता की ऑनलाइन पाठशाला

पिछले एक माह से शिक्षकों के सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है, जिसे लेकर सिर्फ शिक्षक ही नहीं, बल्कि स्कूल-कॉलेज के प्रबंधन भी परेशान हैं। एक निजी कॉलेज में पढ़ाने वाली शिक्षिका (बदला हुआ नाम) केतकी पाटिल बताती हैं कि जब 9वीं और 10वीं का ऑनलाइन लेक्चर शुरू होता है तो बीच में कुछ बाहर के लड़के जुड़ जाते हैं और ऑनलाइन लेक्चर के बीच में अश्लील बातें लिखते हैं तथा भद्दे कमेंट्स करते हैं।

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कोरोना महामारी से जूझ रहे महाराष्ट्र राज्य में अभी तक स्कूल-कॉलेज शुरू करने की अनुमति नही दी गई है लेकिन पिछले तीन-चार माह से स्टूडेंट्स को ऑनलाइन एज्यूकेशन दी जा रही है। शिक्षकों के सामने पहले सबसे बड़ा चैलेंज था कि किस तरह से उन्हें ऑनलाइन शिक्षा दी जाए, लेकिन सरकार और स्कूल प्रबंधन ने सामंजस्य स्थापित कर स्टूडेंट्स की भलाई के लिए ऑनलाइन लेक्चर का रास्ता निकाला। इसका वे लाभ भी ले रहे हैं ,लेकिन पिछले एक माह से शिक्षकों के सामने एक बड़ी चुनौती आ गई है, जिसे लेकर सिर्फ शिक्षक ही नहीं, बल्कि स्कूल-कॉलेज के प्रबंधन भी परेशान हैं। एक निजी कॉलेज में पढ़ाने वाली शिक्षिका (बदला हुआ नाम) केतकी पाटिल बताती हैं कि जब 9वीं और 10वीं का ऑनलाइन लेक्चर शुरू होता है तो बीच में कुछ बाहर के लड़के जुड़ जाते हैं और ऑनलाइन लेक्चर के बीच में अश्लील बातें लिखते हैं तथा भद्दे कमेंट्स करते हैं। ये शरारती बच्चे जूम मीटिंग ऐप्प में कैसे जुड़ जाते हैं, इसे लेकर शिक्षक के साथ ही स्कूल- कॉलेज के प्रबंधन भी परेशान हैं।

कैसे हो रहा है ये सब?
मुम्बई टीचर्स असोसिएशन के अध्यक्ष दयानंद तिवारी बताते हैं कि मुम्बई के कुछ कॉलेजों ने ऑनलाइन लेक्चर के लिए खुद के वेब डेवलप किए हैं जबकि ज्यादातर स्कूल- कॉलेज गूगल ऐप जूम मीटिंग का इस्तेमाल करते हैं। जूम ऐप में कई बार ऐसा होता है कि लेक्चर का लिंक विद्यार्थी दूसरे बच्चे से शेयर कर देते हैं और बाहरी बच्चे कॉलेज के ऑनलाइन लेक्चर में घुस जाते हैं। ऐसे ही बच्चे इस तरह के गंदे कमेंट्स लिखते हैं।

क्या है समस्या का समाधान?
दयानंद तिवारी का कहना है कि अगर दो स्टूडेंट्स एक नाम के हैं तो उनके रोल नंबर अलग-अलग होंगे। इस तरह लेक्चर शुरू करने से पहले ही बाहरी लड़के की पहचान की जा सकती है।

ऑनलाइन लेक्चर के लाभ कम, नुकसान ज्यादा
कोरोना महामारी के समय स्कूल -कॉलेजों ने भले ही ऑनलाइन लेक्चर शुरू किया है लेकिन इससे छात्रों को विशेष लाभ नहीं हो रहा है। 9वीं कक्षा की छात्रा निधि बताती है कि 30 मिनट के लेक्चर में टीचर की आधी बात तो समझ में ही नहीं आती है। कभी ऑडियो सही तरह से नहीं मिलती,तो कभी नेटवर्क कमजोर होने से लिंक टूट जाता है। दूसरे ऑनलाइन लेक्चर से आंखों में जलन और गर्दन में दर्द होने लगता है।

डॉक्टर की सलाह
आंख के सर्जन डॉ टी.पी. लहाने बताते हैं कि अगर कोई स्टूडेंट मोबाइल पर ऑनलाइन लेक्चर अटैंड कर रहा है तो स्क्रीन छोटी होने के कारण उसकी आंखों में जलन होगी और गर्दन भी दर्द करेगा। इसलिए स्टूडेंट्स को एक लेक्चर अटैंड करने के बाद अपनी आंखों को ठंडे पानी से धो लेना चाहिए ।

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