क्या भावनाओं का शिकार हुई श्रद्धा? दोस्त ने बताया मां के निधन के बाद कैसे बदला जीवन

श्रद्धा वालकर की हत्या देश में लव जिहाद के क्रूर अंत की कहानी है। जो संवेदनाओं से कैसे शुरू हुई और असंवेदनशील अंत के साथ सिमट गई।

100

श्रद्धा वालकर की क्रूरतम हत्या को लेकर सारा देश गुस्से में है। अब श्रद्धा के एक मित्र ने नई जानकारी साझा की है। इस मित्र ने बताया कि, मां के निधन के बाद श्रद्धा अकेली पड़ गई थी। इसी समय आफताब उसका सहारा बना और जीवन साथी बन गया।

श्रद्धा अपनी मां के बहुत करीब थी। मां से वह अपनी सभी बातें साझा करती थी, मित्रों के अनुसार श्रद्धा और उसकी मां का संबंध करीबी सहेली जैसा था, मां बेटी हमजोली की तरह अपनी मन की बातों को साझा करते थे। लेकिन यह संबंध असमय टूट गया, श्रद्धा की मां का अचानक निधन हो गया और वह टूट गई। घर में पिता थे, लेकिन श्रद्धा का पिता से वैसा संबंध नहीं था जैसा मां से था। श्रद्धा के उदास मन को उस समय सहारा चाहिये थे। इसी समय श्रद्धा की भेंट आफताब से हुई।

अकेले पन का सहारा बना आफताब
वर्ष 2020 के लगभग घटी यह घटनाएं हैं। एक ओर मां के जाने का दुख और दूसरी ओर पिता के रहने के बाद भी अकेली पड़ी श्रद्धा, इस स्थिति में श्रद्धा की जिंदगी में आया आफताब। आफताब ने श्रद्धा को सहारा दिया, धीरे-धीरे श्रद्धा के मन को आफताब की करीबी ऐसी अच्छी लगने लगी की वह उसके बिना रह नहीं पाती थी। करियर में भी श्रद्धा ने बैचलर्स इन मास मीडिया किया था, इसके अलावा थियेटर शो में अपना भाग्य आजमाया था। लेकिन मां के निधन से टूटे मन को आफताब मिला तो वह सब भूल गई। एक समय ऐसा आया कि, आफताब और श्रद्धा ने साथ रहने का निश्चय कर लिया।

ये भी पढ़ें – महाराष्ट्रः एमआईएम सांसद जलील के कहने पर बौद्ध युवक का कराया गया जबरन धर्मांतरण? पढ़ें, पूरी खबर

परिवार का विरोध भी न रोक पाया
श्रद्धा जब आफताब पूनावाला के साथ रहने के लिए घर से पैर बाहर निकालने जा रही थी तो, उसके पिता और परिजनों ने समझाया। लेकिन पिता की परवरिश, परिवार का बंधन आफताब पूनावाला के सामने बौना साबित हो गया और श्रद्धा वालकर ने घर छोड़ दिया। वह आफताब संग नायगांव में एक किराए के मकान में लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगी।

शुरू हुआ आफताब का अत्याचार
बीएमएम में साथ पढ़नेवाले मित्र ने बताया कि, 2019 में श्रद्धा और आफताब के संबंध की शुरुआत हुई थी, दोनों नायगांव में रहते थे। कुछ दिन बीतने के बाद आफताब ने श्रद्धा पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। वह उससे मारपीट करने लगा, एक बार तो उसने श्रद्धा की पीठ पर सिगरेट का चटका तक दे दिया। प्रतिदिन की मारपीट से व्यथित श्रद्धा ने अपनी सहेलियों को भी वह घाव दिखाए थे। आफताब की क्रूरता से व्यथित श्रद्धा ने उसका साथ छोड़ दिया। वह अलग रहने लगी।

ब्लैकमेल करने लगा आफताब
श्रद्धा से कुछ दिन अलग रहने के बाद आफताब फिर उसकी जिंदगी मे आने का प्रयत्न करने लगा। वह श्रद्धा को अपने प्रेम पाश में फांसने लगा, लेकिन क्रूरता से व्यथित श्रद्धा जब नहीं मानी तो आफताब ने ब्लैकमेल करने का रास्ता अपना लिया। आफताब ने धमकी दी कि, यदि श्रद्धा उसके पास न लौटी तो वह आत्महत्या कर लेगा, जिसकी जिम्मेदारी श्रद्धा और उसके परिवार की होगी। इससे घबराई श्रद्धा ने आफताब के साथ को फिर स्वीकार कर लिया।

छोड़ दी मुंबई
आफताब पूनावाला और श्रद्धा ने साथ रहने के साथ ही मुंबई छोड़ दिया। दोनों ने दिल्ली के मेहरौली में अपना नया ठिकाना बनाया। जो श्रद्धा वालकर का अंतिम पड़ाव बना। मां की लाडली श्रद्धा जिसे पिता ने परिवार न छोड़ने के लिए समझाया था, वह श्रद्धा अपने जीवन के कठिन दौर से अनभिज्ञ थी और सबकुछ ठुकरा कर आगे निकल गई। दिल्ली में श्रद्धा के लिये आफताब हैवान बन गया और एक दिन श्रद्धा को सदा के लिए शांत कर दिया। उसके शरीर के पैंतीस टुकड़े कर दिये और महीनों तक अलग-अलग जंगल, निर्जन स्थानों पर बोटियों को फेंकता रहा।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.