…बेइज्जती सहो कि सरकार ‘त्रिशंकू’ है!

यल्गार परिषद के मंच पर विवादित चेहरे और वक्ता आमंत्रित किये जाते रहे हैं। पुणे में हिंदुओं के विरुद्ध बोलनेवाले शर्जील उस्मानी पर यूपी के एएमयू में दंगे भड़काने का आरोप लगा था और वो यूपी एटीएस द्वारा गिरफ्तार भी किया गया था और अब जमानत पर है।

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पुणे में यल्गार परिषद संपन्न हुई। इसमें अर्बन नक्सल विचारधाराओं से प्रयुक्त भाषाओं का जमकर उपयोग हुआ। शर्जील उस्मानी नामक एक वक्ता ने तो खलुकर कह दिया कि ‘आजका हिंदू समाज पूर्णरूप से सड़ गया है।’ मंच पर साथ में बैठे वक्ता गदगद हो गए। इनकों सुननेवाले तालियों से स्वागत करते नजर आए। इस बीच मुंबई में विराजमान ‘त्रिशंकू’ सरकार सुन्न पड़ी रही।

वैसे जिस मंच से हिंदुओं के विरुद्ध विष उगला जा रहा था वह पुणे के ‘गणेश’ कला क्रीडा केंद्र का था, राज्य सरकार में ‘शिवसेना’ की है और देश ‘हिंदू’ बाहुल्य है (कुछ राज्यों को छोड़कर)। इस यल्गार परिषद में सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी.जी कोलसे-पाटील थे। जो अपने वामपंथी विचारों के प्रचारक रहे हैं। उनका साथ देने के लिए उपस्थित थीं अरुंधती रॉय जिनके विचारों को लेकर अक्सर बवाल मचता रहता है।

यल्गार का अर्थ उर्दू में देखें तो आक्रमण होता है। तो प्रश्न उठता है कि जब देश स्वतंत्र है तो यल्गार किस के विरुद्ध? तो बताते चलें कि 31 दिसंबर का दिन भीमा कोरेगांव में शौर्य दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन 204 वर्ष पूर्व पेशवा के नेतृत्व वाले मराठा साम्राज्य को ईस्ट इंडिया कंपनी ने युद्ध में पराजित कर दिया था। उस काल में ईस्ट इंडिया का साथ ‘महार रेजीमेंट’ के सैनिकों ने दिया था। तब से इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन इस शौर्य दिवस को कब अर्बन नक्सलियों ने हाइजैक कर लिया इसका पता ही किसी को नहीं चला। अब इस दिन खुलकर हिंदुओं के विरुद्ध विष बोया जाता है। इस बार एक बार फिर 30 जनवरी को जो हुआ। उसमें जैसी बातें हुईं वो अपने आप में विद्वेष फैलानेवाली थीं। इस बार अब तक पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लेकिन इसके पहले भीमा कोरेगांव में यल्गार परिषद के नाम पर संपन्न हुए कार्यक्रम में अर्बन नक्सलियों का लिंक हाथ लगा था जिसके निशाने पर देश के पीएम भी थे।

उनकी योजना भरी सभा में पीएम मोदी पर…

ये घटना 1 जनवरी, 2018 की है। पुणे शहर के शनिवार वाड़ा मे यल्गार परिषद का आयोजन किया गया था। जिसमें माओवादी विचारों से प्रेरित लोग सम्मलित हुए थे। आरोप लगा कि इन लोगों के भड़काऊ भाषणों के कारण ही हिंसा भड़की थी। इस हिंसा के पीछे के कारणों की जांच करते हुए पुलिस को रोना विल्सन नामक एक आरोपी के घर से चिट्ठियां मिली थीं जिनमें राजीव गांधी की हत्या की भांति योजना बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने का उल्लेख था। इसके बाद संबंधित लोगों के घर छापे मारे गए, 250 ईमेल संदेश खंगाले गए। इसके आधार पर देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जिसमें हैदराबाद के वापमंथी विचारक वरवरा राव, ठाणे से अरुण फरेरा, मुंबई से वरनॉन गोन्सालविज, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज, दिल्ली के रहनेवाले गौतम नवलखा और रांची से स्टीन स्वामी को गिरफ्तार किया गया।

पत्र ने खोल दी पोल
(जून 2018 में दिल्ली के मुनरिका से मिला था पत्र)
नरेंद्र मोदी 15 राज्यों में भाजपा को स्थापित करने में सफल हुए हैं। यदि यह चलता रहा तो पार्टी के लिए बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाएगी। कामरेड किशन और कुछ अन्य सीनियर कामरेड ने मोदी राज को खत्म करने के लिए कुछ मजबूत कदम सुझाए हैं। हम सभी राजीव गांधी जैसे हत्याकांड पर विचार कर रहे हैं। ये आत्मघाती जैसा मालूम होता है और इसकी भी अधिक संभावनाएं हैं कि हम असफल हो जाएं। लेकिन हमें लगता है कि पार्टी हमारे प्रस्ताव पर विचार करे, उन्हें रोड शो में टारगेट करना एक असरदार रणनीति हो सकती है।

भाजपा मैदान में…

विधान सभा में विरोध पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर यल्गार परिषद में हिंदुओं पर किये गए आक्षेपार्ह टिप्पणियों के विरुद् कार्रवाई की मांग की है।

इसी प्रकार भाजपा विधायक राम कदम ने पुलिस प्रशासन को 48 घंट का समय दिया है। इसके बाद राज्य में आंदोलन की चेतावनी दी है। जबकि कांदीवली विधानसभा के भाजपा विधायक अतुल भातखलकर ने दिंडोशी पुलिस थाने में एक पत्र सौंपा है। जिसमें शर्जील उस्मानी पर मामला दर्ज करने को कहा गया है। भातखलकर ने सीएए और एनआरसी आंदोलन का उदाहरण भी दिया है जिसमें भड़काऊ भाषण देकर लोगों उद्विग्न करनेवाले शर्जील को गिरफ्तार किया गया था और वह जमानत पर है। इसकी वीडियो लिंक भी दी गई है। शर्जील पर भारतीय दंड संहिता की धारा 154 , सेक्शन 133(ए), 295 (ए),124 (ए)

 

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