Maharashtra Assembly Result: आघाड़ी की करारी हार, महाराष्ट्र में फिर महायुति सरकार

किसी पार्टी या गठबंधन की जीत या हार के लिए कई एक फैक्टर्स होते हैं। महायुति की इस बंपर जीत में भी यह बात लागू हैं।

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-महेश सिंह

Maharashtra Assembly Result: दुनिया में चमत्कार को नमस्कार करने की परंपरा है और महाराष्ट्र (Maharashtra) में महायुति (Mahayuti) ने चमत्कार किया है। नया इतिहास लिखा गया है। महायुति की 288 में से 200 से अधिक सीटों पर जीत होना रिकॉर्ड है। महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi) के नैरेटेविव सेट करने के सभी प्रयास विफल हो गए हैं। महाराष्ट्र की जनता ने महायुति पर भरोसा जताया है। इस जीत में मोदी मैजिक (Modi Magic) के साथ ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) की मेहनत का भी बड़ा योगदान है। देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) और अन्य नेताओं ने भी शानदार चुनाव प्रचार किया। इसके साथ भी कई फैक्टर्स की महायुति की धमाकेदार जीत में बड़ा योगदान रहा है।

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बंटेंगे तो कटेंगे
किसी पार्टी या गठबंधन की जीत या हार के लिए कई एक फैक्टर्स होते हैं। महायुति की इस बंपर जीत में भी यह बात लागू हैं। जीत का सबसे बड़ा कारण हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण है। देश के साथ ही पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जिस तरह की अत्याचार और अन्याय हो रहे हैं, उनसे हिंदू मतदाताओं ने सबक लिया है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी प्रभावशाली साबित हुआ। योगी के इस नारे का आरएसएस ने भी समर्थन किया था और हिंदुओं को एक रहने की चेतावनी जारी की थी।

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मोदी मैजिक
इसके साथ ही महायुति की लैंड स्लाइडिंग विक्ट्री में मोदी मैजिक भी काफी प्रभावशाली रहा। उनका नारा एक हैं तो सेफ हैं, काफी असरदार साबित हुआ। मुंबई के दादर स्थित छत्रपति शिवाजी पार्क में आयोजित विधानसभा चुनाव की अंतिम सभा में दिया गया उनका भाषण काफी असरदार साबति हुआ।

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महापुरुषों के अपमान का मुद्दा
प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के महापुरुषों स्वातंत्र्यवीर सावरकर के कांग्रेस और इंडी गठबंधन द्वारा बार-बार किए जा रहे अपमान पर उन्हें काफी खरी खोटी सुनाई थी। इसके साथ ही उन्होंने इंडी गठबंधन और खास कर उद्धव ठाकरे को इस बात की चुनौती दी थी, कि वे राहुल गांधी से हिंदूहृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे के लिए प्रशंसा के दो शब्द बुलवाकर दिखाएं। हालांकि प्रियंका गांधी ने आधे-अधूरे मन से बालासाहब का ना तो लिया, लेकिन उन्होंने न उन्हें हिंदूहृदय सम्राट कहा और ना ही उनकी प्रशंसा ही की। यह दांव कांग्रेस के साथ महाविकास आघाड़ी पर भी भारी पड़ गया।

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लड़की बहिन योजना
महाराष्ट्र सरकार की लड़की बहिन योजना सत्तारूढ़ महायुति के लिए गेम चेंजर साबित हुई, क्योंकि बहुत-सी महिलाओं को राज्य सरकार से वित्तीय सहायता मिली है। महाराष्ट्र सरकार ने लड़की बहिन योजना के लिए 46,000 करोड़ रुपये का वार्षिक वित्तीय बोझ अनुमानित किया है, लेकिन इसने राज्य की महिलाओं को प्रभावित किया है।

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विदर्भ क्षेत्र
इस चुनाव में महायुति ने विदर्भ पर भी खास ध्यान दिया। महायुति ने न सिर्फ यहां अपनी स्थिति बेहतर की बल्कि लोगों में यह भरोसा भी जगाया कि वह किसानों के साथ खड़ी है। महायुति सरकार ने कपास और सोयाबीन किसानों को राहत पहुंचाने के लिए कदम उठाए।

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मुस्लिम वोट बैंक में सेंध
जपा गठबंधन ने हिंदू और मुस्लिम वोटरों को लुभाने की भी सफल कोशिश की। एक तरफ उन्होंने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा देकर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की तो दूसरी तरफ शिंदे सरकार ने मदरसा शिक्षकों का वेतन बढ़ाकर यह साफ कर दिया कि वह मुस्लिम विरोधी नहीं है। जिससे भाजपा गठबंधन को काफी मुस्लिमों के भी वोट मिले।

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स्थानीय नेताओं से प्रचार
भाजपा ने महाराष्ट्र चुनाव में नई रणनीति अपनाई और सबसे ज्यादा प्रचार स्थानीय नेताओं से कराया। सबसे ज्यादा प्रचार देवेंद्र फडणवीस ने किया। भाजपा गठबंधन की ओर से प्रचार अभियान चलाया गया। स्थानीय नेताओं की केंद्रीय नेताओं को पीछे रखकर स्थानीय वोट बटोरने की रणनीति कारगर रही और इसका लाभ वोटों के रूप में देखने को मिला।

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क्यों हारी महाविकास आघाड़ी?
महायुति की जीत के जैसे कई फैक्टर्स हैं, वैसे ही महाविकास आघाड़ी की हार के भी कई फैक्टर्स हैं। महाविकास आघाड़ी में सीटों के बंटवारे को लेकर जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप के तीर चले, उससे जनता में गलत संदेश गया और उसका असर मतदाताओं के मन पर पड़ा।

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नैरेटिव सेट करने में फेल
हरियाणा चुनाव से पहले संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने जैसे नैरेटिव सेट करने की कोशिश फेल हो गई, वही नैरेटिव महाराष्ट्र में भी सेट करने की कोशिश कांग्रेस और महाविकास आघाड़ी ने की, लेकिन जनता समझदार है। उसने समझ लिया कि ये केवल पॉलिटिकल पब्लिसिटी है। इस तरह के आरोपों मे दम नहीं है।

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मुद्दों का अभाव
महायुति की जीत का एक कारण यह भी है कि इस चुनाव में विपक्ष के पास मुद्दों का अभाव था। विपक्ष सत्ताधारी पार्टी को घेरने के लिए जो प्रयास करना चाहिए था, वह नहीं कर पाया। वह मोदी और अडानी के आसपास ही घुमती रह गई।इसका लाभ महायुति ने उठाया। आघाड़ी के नेताओं में प्रदेश के विकास के लिए कोई योजना नहीं थी। उसने अंतिम समय में घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए तीन हजार और युवाओं के लिए चार हजार देने की घोषणा की, उसका कोई प्रभाव जनता पर नहीं पड़ा। जनता को समझ में आ गया कि जो नेता महायुति के लाड़की बहन योजना का विरोध कर रहे थे, वही चुनाव जीतने के लिए अब बढ़ चढ़कर इस तरह की घोषणा कर रहे हैं।

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