दो छोर को जोड़नेवाली उम्मीदों की सुरंग आखिरकार आज से आवाजाही के लिए खोल दी गई। इस सुरंग का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों संपन्न हुआ। यह सुरंग लाहौल स्पीति से मनाली के बीच निर्मित की गई है जिसकी दूरी 9.02 कि.मी की है। जबकि सुरंग के निर्माण में पिछले छह साल में 26 साल का कार्य हुआ।
अब भारी हिम वर्षा, और दुश्मन पाकिस्तानी शेलिंग और चीन की चालबाजियों से सुरक्षित रहकर तय होंगी दूरियां। लाहौल स्पीति से मनाली की दूरी पहले नैसर्गिक और दुश्मन के खतरे के बीच तय होती थी। वह भी साल के सिर्फ 6 महीने लेकिन, अब 9.02 किलोमीटर लंबी यह सुरंग मनाली को वर्ष भर लाहौल स्पीति से घाटी से जोड़े रखेगी। इस सुरंग के बनने से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई और यात्रा का समय भी चार से पांच घंटे कम हो गया।
अटल टनल! 10 मिनट की यात्रा के लिए खर्च हुए 10 साल और 4 हजार करोड़ रुपए
* प्रधानमंत्री ने किया उद्धाटन
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग का प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी रोहतांग में उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री मोदी ‘अटल सुरंग’ के जरिए लाहौल-स्पीति जिले की लाहौल घाटी में उसके उत्तरी पोर्टल तक भी गए और मनाली में दक्षिणी पोर्टल के लिए हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एवआरटीसी) की एक बस को हरी झंडी दी।
इस अवसर पर पीएम ने बताया कि, अटल सुरंग के काम में 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।
* वाजपेयी सरकार ने रखी थी आधारशिला
गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। मोदी सरकार ने दिसंबर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था।
* सेना को मिलेगी सामरिक मजबूती
9.02 किलोमीटर लंबी अटल सुरंग के निर्माण से लेह-लद्दाख में सरहद तक पहुंचने के लिए 46 किलोमीटर सफर कम होने के साथ ही यह टनल भारतीय सेना को सामरिक रुप से मजबूती भी प्रदान करेगी। सेना को सीमा में पहुंचने के लिए समय कम लगेगा और बर्फबारी के दौरान सैन्य सामान पहुंचाना भी आसान होगा। यह सुरंग हिमाचल प्रदेश के मनाली को लाहौल स्पीति और लेह-लद्दाख से जोड़ेगी। अटल टनल का साउथ पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर करीब 3060 मीटर की उंचाई पर स्थित है। वहीं टनल का उत्तरी छोड़ लाहौल घाटी के सीसू के तेलिंग गांव में 3071 मीटर की उंचाई पर स्थित है।
* टनल की विशेषता
– 46 किलोमीटर कम हो जाएगी मनाली और लेह के बीच दूरी
– लाहौल स्पीति और लेह-लद्दाख के बीच हर मौसम में आवागमन सुचारू होगा
– हर 60 मीटर पर एक अग्नि शामक
– हर 150 मीटर पर टेलीफोन उपलब्ध होगा
– हर 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरे, प्रसारण प्रणाली, हादसों का स्वत: पता लगाने की प्रणाली
– हर 500 मीटर पर आपातकालीन निकास सुविधा
– हर एक किलोमीटर में हवा की गुणवत्ता निगरानी
– हर 2.2 किलोमीटर की दूरी पर मोड़
– यह 10.5-मीटर चौड़ी सिंगल ट्यूब बाय-लेन टनल है
* फर्राटा भर सकेंगे वाहन
इस टनल में 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से वाहन दौड़ सकेंगे। हर दिन तीन से पांच हजार वाहन गुजर सकेंगे इस टनल से। भारी से भारी वाहन भी आसानी से इस टनल से गुजर सकेंगे।
* दस साल में बनकर तैयार
इस टनल का निर्माण कार्य वर्ष 2010 में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के मार्गदर्शन में स्ट्रॉबेग एफकॉन कंपनी ने शुरू किया था। सर्दियों के दौरान माइनस 23 डिग्री सेल्सियस तापमान में कंपनी व बीआरओ के इंजीनियर व मजदूरों ने इसके निर्माण को पूरा किया है।
* 3500 करोड़ रुपये आई लागत
10,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है यह सुरंग लाहौल स्पीति के रोहतांग में समुद्र तल से
लगभग 4 हजार करोड़ रुपये की लागत सुरंग के निर्माण में आई है।
* बेहद आकर्षक है टनल
बौद्ध शैली में अटल सुरंग का प्रवेश द्वार निर्मित है। मनाली की ओर कुल्लवी शैली में जबकि लाहुल की ओर बौद्ध शैली में द्वार बनाए गए हैं। अटल टनल के साथ यह प्रवेश द्वार भी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बनेंगे।
* घोड़े की नाल जैसा आकार
घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सुरंग में आठ मीटर चौड़ी सड़क है और इसकी ऊंचाई 5.525 मीटर है। अटल सुरंग का डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कारों और 1500 ट्रकों के लिए तैयार किया गया है।