भारत के दो पड़ोसी देशों में इस समय आंदोलन, आंधी का रूप ले रहा है। जिसमें पाकिस्तान के सिंध में बेटियां सड़कों पर निकल पड़ी हैं तो नेपाल का आमजन भी सड़कों पर है। इन दोनों देशों के नागरिकों के विरोध का एक कॉमन कोड है।
चीन की चौधराहट स्वीकार करनेवाले पाकिस्तान और नेपाल में नागरिकों ने ही देश विरोधी आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। पाकिस्तान से मुक्ति चाहनेवाला सिंध प्रांत अब विश्व के बड़े नेताओं से मद्यस्थता करने की मांग कर रहा है तो दूसरी तरफ नेपाल में कम्यूनिस्ट पार्टियों से त्रस्त जनता अब हिंदू राष्ट्र की पहचान को फिर लागू कराना चाहती है। इन दोनों ही राष्ट्रों में जनता सड़कों पर है।
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सिंध मुक्ति अभियान
सिंध की गलियों में पाकिस्तान से मुक्ति का स्वर अब तीव्र हो रहा है। वहां पर ‘जिये सिंध मुत्ताहिदा महज’ द्वारा जामशोरो जिले के सान में रैली निकाली गई। इस रैली में सिंधु देश फ्रीडम मूवमेंट के पोस्टर लहराए गए। इसमें एक और पोस्टर भी दिखा जो था भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। इसके अलावा इस आंदोलन में
कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं के पोस्टर भी थे।
सिंध के नेता जीएम सैयद की 117वीं जयंती पर ये रैली उनके गांव जामशोरो जिले के सान में आयोजित की गई थी। सैयद को सिंधी राष्ट्रवाद का प्रणेता माना जाता है। इस रैली में दूसरी जो सबसे बड़ी बात दिखी वो थी रैली में सोर्मीज़ (सिंध की बेटिंयां) की उपस्थिति।
We want national freedom. No China Go China No Pakistan we want Sindhudesh. Jeay Sindh Freedom Movement @JSFMOfficial rally in Sann Sindh. January 17, 2021 on 117th birthday of Sain G M Syed
@TarekFatah @StateDept @BBCUrdu @GulBukhari @HamidMirPAK @TahaSSiddiqui @CChristineFair pic.twitter.com/aUnL8rS8GW— Zafar Sahito (@widhyarthi) January 18, 2021
जीएम सैयद के मार्ग पर सिंध
जीएम सैयद पाकिस्तान के पहले राजनीतिक बंदी थे। जिन्होंने सिंधु देश की मांग की थी और इसके लिए 30 वर्षों तक जेल में बंद रहे। पाकिस्तान के गठन के बाद बलूचिस्तान और सिंध में स्वतंत्रता की मांग करनेवाले कई नेता सामने आए। इसमें से सैयद अग्रणी थे। 1970 में बांग्लादेश के स्वतंत्र होने का बाद से सिंध और बलूच नेता अपनी स्वतंत्रता की मांग करते रहे हैं। सिंधुदेश भी सिंधियों के लिए स्वतंत्र राष्ट्र की संकल्पना है। इस आंदोलन को चलानेवाले इतने वर्षों में पाकिस्तानी सेना और गुप्तचर एजेंसियों की करतूत से अचानक गायब होते रहे हैं। इससे इस आंदोलन को दबाने के प्रयत्न होते रहे हैं।
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नेपाल मांगे हिंदुराष्ट्र
भारत का दूसरा पड़ोसी देश नेपाल अपनी पुरानी पहचान पाने के लिए प्रयत्न कर रहा है। इसके लिए वहां प्रधानमंत्री से मांग तक की गई है। पूर्व उप प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता कमल थापा ने मांग की है कि संविधान में नेपाल के धर्म निरपेक्ष राष्ट्र के रूप में किये गए प्रावधान को रद्द किया जाए और फिर पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता वाला एक हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए।
नेपाल में 2006 के जनआंदोलन के बाद 2008 में देश को धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया गया था। इसके बाद ही नेपाल में राजशाही भी समाप्त हो गई थी। नेपाल में हिंदू बहुसंख्य हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार 81 प्रतिशत से अधिक की जनसंख्या हिंदू है।