लाल परी घाटे में पड़ी

इस लाल परी को चलानेवाले एसटी कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है और वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। अब दिवाली भी करीब होने से एसटी महामंडल पर इन्हें वेतन देने का दबाव बढ़ता जा रहा है। इनके वेतन और बसों के ईंधन के लिए एसटी महामंडल ने दो हजार करोड़ रुपया कर्ज लेने का निर्णय लिया है।

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लोकल ट्रेनों को मुंबई की लाइफ लाइन कही जाती है तो लाल परी यानी स्टेट बस सेवा महाराष्ट्र की लाइफ लाइन के नाम से जानी जाती है। राज्य के दूर-दराज के इलाकों से लेकर शहर तक दौड़नेवाली इस लाल परी का अपना खास महत्व है। अपने गांव से शहर और शहर से गांव जाने के लिए एसटी का इंतजार कर रहे लोगों के चेहरे इस लाल परी को देखते ही खिल जाते हैं। लेकिन कोरोना काल में पिछले कई महीनों से इसकी आर्थिक हालत खराब हो गई है।

तीन महीने से नहीं मिला वेतन
हाल यह है कि इस लाल परी को चलानेवाले एसटी कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है और वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। अब दिवाली भी करीब होने से एसटी महामंडल पर इन्हें वेतन देने का दबाव बढ़ता जा रहा है। इनके वेतन और बसों के ईंधन के लिए एसटी महामंडल ने दो हजार करोड़ रुपया कर्ज लेने का निर्णय लिया है। यह जानकारी राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब ने दी है।

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पहले से ही घाटे में है एसटी
बता दें कि पहले से ही घाटे में चल रही एसटी की रफ्तार को बरकरार रखने के लिए भाजपा-शिवसेना की सरकार के समय भी महामंडल ने 1700 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इस तरह एसटी महामंडल पर कुल 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसके साथ ही पहले से ही आर्थिक परेशानी झेल रही महाराष्ट्र सरकार का भी कोरोना काल में आर्थिक संकट और बढ़ गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार पर वर्तमान में करीब 6 लाख करोड़ का कर्ज है। इस वजह से सरकार पर और आर्थिक बोझ नहीं बढ़े, यह सोचकर एसटी महामंडल ने खुद कर्ज लेने का निर्णय लिया है।

एसटी महामंडल के पास दो रास्ते
आर्थिक तंगी से जूझ रहे एसटी महामंडल के पास दो रास्ते हैं। पहला राज्य सरकार के खजाने से पैसे लेना और दूसरा बैंक से कर्ज लेना। फिलहाल एसटी महामंडल ने राज्य सरकार की आर्थिक परेशानी को
देखते हुए एसटी खुद बैंक से कर्ज लेने का फैसला किया है। इस दिशा में महामंडल की कोशिश जारी है। वर्तमान में एसटी के 250 बस डिपो और 609 बस स्थानक हैं।

वेतन के लिए 900 करोड़ रुपए की आवश्यकता
सबसे महत्व की बात तो यह है कि एसटी कर्मचारियों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। फिलहाल महामंडल को उनके वेतन देने के लिए 900 करोड़ रुपए की जरुरत है।

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