Mafia Mukhtar Ansari: मुख्तार के साथ खत्म हुआ मऊ समेत पूर्वांचल की राजनीति से माफियावाद

मुख्तार अंसारी मऊ से रिकॉर्ड पांच बार विधायक रहे और कई मामलों में सलाखों के पीछे चल रहे थे। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को माफिया मुख्तार का गढ़ मना जाता रहा है। माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के ऊपर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से लेकर दंगे तक के लगभग 61 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से कई मुकदमों में उसे सजा भी हो चुकी थी।

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Mafia Mukhtar Ansari: मऊ सदर के पूर्व विधायक (Former MLA of Mau Sadar) और माफिया मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar Ansari) की 28 मार्च (गुरुवार) देर शाम हार्ट अटैक से मौत (death due to heart attack) हो गई। फिलहाल वह बांदा जेल (Banda jail) में बंद थे और काफी बीमार चल रहे थे। हाल ही में उनको बांदा के मेडिकल कॉलेज (Banda Medical College) के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत स्थिर होने पर फिर से उन्हें मंडल कारागार बांदा भेज दिया गया था।

मुख्तार अंसारी मऊ से रिकॉर्ड पांच बार विधायक रहे और कई मामलों में सलाखों के पीछे चल रहे थे। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को माफिया मुख्तार का गढ़ मना जाता रहा है। माफिया से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के ऊपर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से लेकर दंगे तक के लगभग 61 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से कई मुकदमों में उसे सजा भी हो चुकी थी।

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1996 से शुरू हुई राजनीति सक्रिय
90 के दशक में गाजीपुर, मऊ, बलिया, वाराणसी और जौनपुर में सरकारी ठेकों को लेकर गैंगवार शुरू हो गए थे। इस दौर में इन जिलों में सबसे चर्चित नाम रहा मुख्तार अंसारी का। मुख्तार अंसारी 1996 में पहली बार बसपा से मऊ सदर से विधायक बना और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुख्तार ने मऊ को अपना गढ़ बनाया और यहां से लगातार पांच बार 2022 तक विधायक रहा। मुख्तार अंसारी ने 2002 में बसपा से टिकट न मिलने पर निर्दल मऊ सदर से चुनाव लड़ने का फैसला किया और जीत हासिल की। उसके बाद उसने अपनी खुद की पार्टी का गठन किया और कौमी एकता दल के नाम से चुनाव मैदान में उतर गया और लगातार दो बार जीत हासिल की।

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सक्रिय राजनीति का 2022 में अंत
2017 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार ने एक बार फिर बसपा का दामन थामा और अपनी पार्टी कौमी एकता दल का बसपा में विलय कर लिया और जीत हासिल की। 2022 में विधान सभा चुनाव में किन्ही कारणों से उसने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और इस सीट पर अपने बेटे अब्बास अंसारी को मैदान में उतारा और मुख्तार की विरासत मऊ सदर पर अब्बास ने जीत हासिल कर ली। 30 जून 1963 को गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में सुबहानउल्लाह अंसारी और बेगम राबिया के घर जन्में मुख्तार अंसारी तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी से मुख्तार के दो बेटे अब्बास अंसारी व उमर अंसारी हैं।

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पूर्वांचल का माफिया और राजनीति का मुख्तार
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के लगभग दो दर्जन लोकसभा और 120 विधानसभा सीटों पर माफिया मुख्तार अंसारी का सीधा या आंशिक प्रभाव माना जाता रहा है। कभी पूर्वांचल के वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर और मऊ में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। इन जिलों में मुख्तार अंसारी और इसके कुनबे का दबदबा माना जाता रहा है। यही वजह थी कि कभी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव तो कभी मायावती ने मुख्तार को अपनाया। मायावती ने तो मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा तक कह डाला। किसी जमाने में महात्मा गांधी के करीबी रहे मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। वहीं मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान महावीर चक्र विजेता रहे। मुख्तार अंसारी के पिता भी अपने समय के बड़े नेताओं में शुमार रहे।

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मऊ को बनाया अपना गढ़
कभी जिसके नाम की तूती पूर्वांचल के दर्जनों जिले में बोलती थी आज उसका नाम अपने नाम के साथ जोड़ने को लोग कतरा रहे हैं। लोग कहते हैं कि अस्सी और नब्बे के दशक में जिस माफिया मुख्तार अंसारी के नाम से सरकारी ठेके खुला करते थे, अवैध वसूली हुआ करती थी। कभी जिसका करीबी होना लोग शान समझते थे आज उस माफिया मुख्तार अंसारी के नाम को अपने नाम के साथ जोड़ने से लोग कतरा रहे हैं। 90 के दशक से शुरू हुआ मुख्तार का रसूख 2017 तक आते-आते ध्वस्त होना शुरू हुआ और आलम यह रहा की योगी सरकार के अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे हैं मुहिम में 2024 तक माफिया मुख्तार की लगभग 500 करोड़ की संपत्ति या तो जब्त की जा चुकी है या उस पर बुलडोजर चलाया जा चुका है।

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