Defamation case: सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई टली, अब इस तिथि को होगी हियरिंग

देहाद्राई ने दावा किया है कि महुआ ने हीरानंदानी को लोकसभा के आनलाइन अकाउंट का एक्सेस दिया था, जिसका हीरानंदानी ने अपनी मनपसंद सवाल पूछने के लिए दुरुपयोग किया।

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दिल्ली हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्राई और कुछ मीडिया संस्थानों के खिलाफ दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई टाल दी है। जस्टिस सचिन दत्ता ने इस मामले पर अगली 5 दिसंबर को करने का आदेश दिया।

31 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान महुआ के वकील ने हाई कोर्ट में कहा कि वे निशिकांत दुबे, जय अनंत देहाद्राई और मीडिया के बयानों पर रोक की मांग पर जोर नहीं देंगे। इसके बाद हाई कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। कोर्ट ने प्रतिवादियों की संशोधित सूची दाखिल करने का निर्देश दिया।

महुआ मोइत्रा के वकील गोपाल शंकरनारायण पर आरोप
20 अक्टूबर को महुआ मोइत्रा के वकील गोपाल शंकरनारायण ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था। सुनवाई के दौरान इस मामले के प्रतिवादी और वकील जय अनंत देहाद्राई ने वकील गोपाल शंकरनारायण पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि महुआ के वकील ने उनसे संपर्क कर महुआ के खिलाफ सीबीआई की शिकायत वापस लेने को कहा था। देहाद्राई ने कहा था कि 19 अक्टूबर की रात को गोपाल शंकरनारायण ने उन्हें फोन किया और कहा कि सीबीआई शिकायत वापस ले लें और बदले में वे हेनरी नामक कुत्ता अपने कब्जे में ले लें। देहाद्राई और महुआ ने एक-दूसरे पर हेनरी की चोरी का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस से शिकायत की है। देहाद्राई ने कहा था कि ये हितों के गंभीर टकराव का मामला है।

गोपाल शंकरनारायण ने दी सफाई
देहाद्राई की बातें सुनने के बाद जस्टिस सचिन दत्ता ने निराशा जाहिर करते हुए कहा था कि मुझे आश्चर्य है। आपसे उच्च पेशेवर मानदंडों की उम्मीद की जाती है। क्या आपने प्रतिवादी नंबर दो से संपर्क किया है। इस पर गोपाल शंकरनारायण ने कहा था कि उन्होंने देहाद्राई से महुआ मोइत्रा की सहमति से संपर्क किया था। तब कोर्ट ने कहा था कि आपने मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश की। क्या अब भी आप इस मामले में पेश होने योग्य हैं। इसका जवाब आप खुद दें, मैं आप पर छोड़ता हूं। इस पर गोपाल शंकरनारायणन ने महुआ की तरफ से वकील के रूप में अपना नाम वापस ले लिया।

प्रतिवादियों में ये भी शामिल
उल्लेखनीय है कि महुआ ने निशिकांत दुबे के अलावा वकील जय अनंत देहाद्राई और कुछ मीडिया संगठनों को भी प्रतिवादी बनाया है। याचिका में कहा गया है कि निशिकांत और देहाद्राई ने उन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे। निशिकांत दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर महुआ पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और उपहार लेकर संसद में सवाल पूछे। इनमें से कुछ सवाल अडानी समूह से जुड़े हुए थे जो हीरानंदानी का बाजार में प्रतिस्पर्धी है। दुबे को देहाद्राई ने पत्र लिखकर बताया कि उन्होंने सीबीआई से इस बात की शिकायत की है कि महुआ ने हीरानंदानी से पैसे लेकर संसद में सवाल पूछे। देहाद्राई ने अपनी शिकायत के समर्थन में सीबीआई को साक्ष्य भी पेश किया था।

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देहाद्राई का दावा
देहाद्राई ने दावा किया है कि महुआ ने हीरानंदानी को लोकसभा के आनलाइन अकाउंट का एक्सेस दिया था, जिसका हीरानंदानी ने अपनी मनपसंद सवाल पूछने के लिए दुरुपयोग किया। सांसद महुआ ने इस आधार पर 50 से 61 सवाल पूछे थे। महुआ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करने से पहले निशिकांत, देहाद्राई और मीडिया संगठनों को लीगल नोटिस भेजा था। महुआ ने याचिका में कहा है कि निशिकांत और देहाद्राई ने उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की है।

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