अलविदा 2022: प्राकृतिक आपदाओं के लिए याद रहेगा यह वर्ष

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एक और साल बीत गया। वर्ष 2022 के दौरान पूर्वोत्तर की भी कई ख़बरों ने सुर्खियां बटोरीं। बीते साल की कुछ ऐसी प्राकृतिक आपदाएं और पर्यावरणीय घटनाएं हैं, जिन्हें आने वाले समय में भी याद किया जायेगा।

अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन में भारतीय सेना के सात जवान दब गए। यह घटना राज्य के तवांग और पश्चिमी कामेंग जिलों के बीच एक पहाड़ी इलाके में हुई। उस समय भारतीय सेना के सात जवानों का एक पेट्रोलिंग दल जा रहा था। दुर्भाग्य से सात जवानों के साथ गश्त कर रहा सेना का वाहन हिमस्खलन में लापता हो गया।

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लगभग सभी राज्य प्रकृति आपदा के शिकार हो गये। इनमें से असम सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। बाढ़ और भूस्खलन से कई रेलवे और राजमार्ग पुल नष्ट हो गये। बच्चों समेत चार लोगों की जान चली गयी। भूस्खलन और पत्थर गिरने के कारण लमडिंग-बदरपुर पहाड़ लाइन पर करीब 50 जगहों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया। अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर में एक मकान गिर गया। उस घर में एक लड़के और एक महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई।

असम में विनाशकारी बाढ़ की स्थिति से चिंतित मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विस्व सरमा ने मंत्री, विधायकों और नौकरशाहों को पर्याप्त मात्रा में राहत सामग्री पहुंचाने, बचाव कार्य जारी रखने और राज्य के बाढ़ पीड़ितों को हर समय उनके साथ रहने का निर्देश दिया। बराक घाटी में बाढ़ पीड़ितों के लिए वायु सेना के कार्गो विमान से राहत सामग्री लाई गई।

गुवाहाटी में भूस्खलन में चार लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में मजदूर वर्ग के कोकराझार जिले के मतीउर हक और हसनूर अली, धुबरी जिले के मनवर हुसैन और अमरुल हक थे।

लगातार हुई भारी बारिश के कारण कछार-करीमगंज और हैलाकांदी जिलों में भूस्खलन से तीन बच्चों, एक महिला और छह लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।

कछार जिला मुख्यालय सिलचर शहर में बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुआ। बिलपार, पब्लिक स्कूल रोड, रंगीरखड़ी-सोनई रोड आदि में पानी में फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना और एनडीआरएफ उतरी।

अरुणाचल प्रदेश के कुरुंग कुमे जिले के दामिन सर्किल के हुरी इलाके में बीआरओ की निगरानी में सड़क व पुल निर्माण कार्य के दौरान 19 मजदूर लापता हो गए। बाद में तीन मजदूरों के शव बरामद हुए शेष बीमार हालत में मिले।

अरुणाचल प्रदेश के इटानगर और नाहरलगुन में बादल फटने से कई घर बह गए। इस घटना में तीन बच्चों की मां रीना गोला (38) की मौत हो गई।

लगातार हुई बारिश से दिबांग नदी के टापू पर फंसे पावर ग्रिड कॉरपोरेशन के 31 मजदूरों को बचा लिया गया।

ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ जिले के मारन और आसपास के इलाकों में भारी ओलावृष्टि हुई। ओलावृष्टि से 17,947 लोग प्रभावित हुए। कई एकड़ खेत और मकान क्षतिग्रस्त हो गए।

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