दिल्ली उच्च न्यायालय के इस कदम से न्यूजक्लिक और प्रवीर पुरकायस्थ की बढ़ीं मुश्किलें!

सात जुलाई 2021 को न्यायालय ने प्रबीर पुरकायस्थ की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यूजक्लिक वेबसाइट के संस्थापक प्रवीर पुरकायस्थ की विदेशों से मिले धन के मामले में संरक्षण के आदेश को वापस लेने की मांग करने वाली ईडी की याचिका पर 11 अगस्त को सुनवाई की। उच्च न्यायालय ने इस मामले में प्रबीर पुरकायस्थ और न्यूजक्लिक को नोटिस जारी किया है। जस्टिस सौरभ बनर्जी ने मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को करने का आदेश दिया।

ईडी की याचिका में है क्या?
ईडी ने याचिका दायर कर प्रवीर पुरकायस्थ को उच्च न्यायालय से मिले संरक्षण के आदेश को वापस लेने की मांग की है। ईडी ने दिल्ली हाई कोर्ट के 21 जून 2021 और 20 जुलाई 2021 को न्यूजक्लिक और प्रबीर पुरकायस्थ को संरक्षण देने के आदेश को वापस लेने की मांग की है। सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन ने कहा कि ये पेड न्यूज की आपराधिक साजिश है, जिसमें 38 करोड़ रुपये नियमों का उल्लंघन कर हासिल किए गए। ईडी ने कहा कि उसे मनी लांड्रिंग के अतिरिक्त साक्ष्य मिले हैं।

एफडीआई कानून का उल्लंघन करने का आरोप
सात जुलाई 2021 को न्यायालय ने प्रवीर पुरकायस्थ की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से कोर्ट प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी पर लगी रोक लगातार बढ़ाता रहा है। पुरकायस्थ पर आरोप है कि उनकी कंपनी पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्रा.लि. ने वित्त वर्ष 2018-19 में अमेरिका की कंपनी वर्ल्डवाईड मीडिया होल्डिंग्स कंपनी से 9 करोड़ 59 लाख रुपये की एफडीआई हासिल की। ईओडब्ल्यू में दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि ये एफडीआई कानून का उल्लंघन कर हासिल की गई। सुनवाई के दौरान प्रबीर पुरकायस्थ की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि कंपनी ने जब एफडीआई हासिल की, उस समय एफडीआई पर कोई सीमा नहीं लगाई गई थी।

कौन है प्रबीर पुरकायस्थ?
सिब्बल ने कहा था कि प्रवीर पुरकायस्थ एक महशूर पत्रकार हैं और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म चलाते हैं। डिजिटल मीडिया को देश के बाहर से पैसा लाने की अनुमति थी। उसके बाद के साल में डिजिटल मीडिया के लिए एफडीआई में सीमा तय कर दी गई। उन्होंने कहा था कि आरोपित ने धन की कोई हेराफेरी नहीं की है। एफडीआई से मिले धन का इस्तेमाल कर्मचारियों को सैलरी देने में किया गया और ये कानून का कोई उल्लंघन नहीं है।

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एफआईआर में आरोप
सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू की ओर से पेश वकील मनजीत एस ओबेराय ने अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपित सीधे हाई कोर्ट आ गए हैं। एफआईआर में कहा गया है कि एफडीआई कंपनी के शेयरों का ज्यादा मूल्यांकन कर हासिल किया गया, ताकि 26 फीसदी एफडीआई के कानून से बचा जा सके। एफआईआर में कहा गया है कि एफडीआई से मिली रकम का 45 फीसदी हिस्सा सैलरी देने, किराया और दूसरे खर्चों में दिखाया गया है। गौरतलब है कि 21 जून 2021 को हाई कोर्ट ईडी की ओर से दर्ज मनी लांड्रिंग के एक मामले में पुरकायस्थ की गिरफ्तारी पर पहले ही रोक लगा चुकी है।

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