कौन भगाना चाहता है मालवणी के हिंदुओं को… जानें सच्चाई

पीड़ित परिवारों का आरोप है कि एक विशेष धर्म के लोगों की दादागिरी से इनका जीना दूभर हो गया है। वॉयास ऑफ इंडिया से की गई अपनी शिकायत में 9 पीड़ित परिवारो ने कहा है कि वे यहां वर्षों से रह रहे हैं लेकिन एक विशेष समुदाय के लोग इन्हें तरह-तरह से परेशान कर यहां से भगाना चाहते हैं।

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मुंबई के मलाड मालवणी में एक धर्म विशेष के लोगों द्वारा दलित हिंदू परिवारों को परेशान करने का मामला प्रकाश में आया है। यहां के पीड़ित परिवारों का आरोप है कि वे इन्हें यहां से भगाना चाहते हैं। इसलिए वे इन्हें तरह-तरह से परेशान करते रहते हैं। स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत ‘वॉइस ऑफ इंडिया’ नामक संस्था से करके इस जुल्म से छुटकारा दिलाने की मांग की है। इसके साथ ही पीड़ितों ने अपना दर्द मीडिया से भी बयां किया है।

पीड़ित परिवारों का आरोप
पीड़ित परिवारों का आरोप है कि एक विशेष धर्म के लोगों की दादागिरी से इनका जीना दूभर हो गया है। वॉइस ऑफ इंडिया से की गई अपनी शिकायत में 9 पीड़ित परिवारों ने कहा है कि वे यहां वर्षों से रहते हैं लेकिन एक विशेष समुदाय के लोग इन्हें तरह-तरह से परेशान करके यहां से भगाना चाहते हैं। वॉइस ऑफ इंडिया ने इनकी शिकायतों को गंभीरता से लिया है। संस्था ने मामले की सच्चाई का पता लगाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सत्य शोधक समिति की नियुक्ति की है।

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सत्यशोधक समिति में शामिल हैं कई प्रभावशाली लोग
बता दें कि सत्य शोधक समिति सेवामुक्त पुलिस अधिकारी वायसी पवार के मार्गदर्शन में में काम करती है। इस समिति में टीवी चैनल के पूर्व संपादक उदय निरगुडकर, सामाजिक कार्यकर्ता और उद्योगपति मनप्रीत सिंह, पत्रकार योगिता साल्वी और सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश गाडे जैसे प्रभावशाली लोग शामिल हैं।

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गोदाम में रखे जाते हैं नशीले पदार्थ
चॉल क्रमांक 8 में रहनेवाली वर्षा पारवे ने अपना दर्द कुछ इस तरह बयां किया, ‘मैं यहां चॉल क्रमांक 8 में रहती हूं। पास में ही मस्जिद है। नमाज के वक्त मस्जिद पर लगे लाउड स्पीकर की आवाज खूब बढ़ा दी जाती है। यहीं पास में एक गोदाम भी है, जिसमें चरस और गांजा जैसे नशीले पदार्थ रखे जाते हैं और उनका सेवन भी किया जाता है। उसके धुएं और गंध से हमें काफी परेशानी होती है। इसका दुष्परिणाम हमारे बच्चों पर भी पड़ रहा है। हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है, कि हम कहीं और घर खरीद सकें या किराए पर रह सकें। इस वजह से हम ये घर छोड़कर कहीं और नहीं जा सकते।’

बढ़ता जा रहा है जुल्म
यहां की चाल क्रमांक 9 में रहनेवाली रोहिणी दिवे ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा, ‘मेरे पति बीमार रहते हैं। साथ ही हमारे साथ मेरी वृद्ध सास भी रहती हैं। लाउड स्पीकर की तेज आवाज के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है। हम पर इनका जुल्म बढ़ता जा रहा है। कुछ माह पहले हमारी चॉल का एक कमरा खरीद कर यहां मदरसा शुरू कर दिया गया। बाद में उनलोगों ने मदरसे के बाहर नमाज पढ़ना शुरू कर दिया। इस वजह से हमें घर से बाहर आने-जाने में परेशानी होने लगी। अंत में परेशान होकर हमने इसकी शिकायत मालवणी पुलसि थाने में की। उसके बाद उनका नमाज पढ़ना तो बंद हो गया, लेकिन कोई न कोई बहाना बनाकर वे हमें परेशान करते रहते हैं। इस बारे में पुलिस ने जांच की है,लेकिन अभी तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। जब हमने इस बारे में पुलिस से पूछा तो उसने बताने से इनकार कर दिया और कहा कि इस बारे में हमारे वरिष्ठ ही बता पाएंगे।

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सत्यशोधक समिति ने की पुलिस से मुलाकात
फिलहाल हाल ही में सत्यशोधक समिति ने मालवणी का दौरा कर वहां के पीड़ितों से मुलाकात की और उनकी व्यथाकथा सुनी। उसके बाद समिति ने मालवणी पुलिस थाने के पुलिस अधिकारी से भी मुलाकात कर उन्हें दलित हिंदू परिवारों की परेशानियों से अवगत कराया है।

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