मॉब लिंचिंग रोकथाम का मामला, केंद्र के साथ ही इन छह राज्यों को सर्वोच्च नोटिस

सर्वोच्च न्यायालय ने 17 जुलाई, 2018 को कहा था कि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

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हिंसक भीड़ की घटनाओं को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं करने के आरोप पर जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार और छह राज्यों को नोटिस जारी किया है।

केंद्र के साथ ही इन राज्यों को नोटिस
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन ने सर्वोच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार के अलावा महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बावजूद गौरक्षा के नाम पर मुस्लिमों की हत्या किये जाने के मामलों में खतरनाक वृद्धि हो रही है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप किए जाने की जरूरत है।

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“कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं”
सर्वोच्च न्यायालय ने 17 जुलाई, 2018 को कहा था कि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने संसद से अपील की थी कि मॉब लिंचिंग से निपटने के मामलों के लिए अलग से कानून बनाएं। कोर्ट ने कहा था कि लोगों में कानून का डर पैदा होना चाहिए। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि अराजकता की स्थिति में राज्य सरकारों को काम करना होगा। राज्य सरकारों को भीड़ से निपटने और कानून-व्यवस्था का पालन करने के लिए कदम उठाना होगा।

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