Chanakya Niti: व्यक्तिगत विकास की रणनीति के लिए जरूरी है चाणक्य नीति संहिता को समझना

चाणक्य नीति में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को आवश्यकता से अधिक 'सीधा' नहीं होना चाहिए। वन में जाकर देखो- सीधे तने वाले पेड़ ही पहले काटे जाते हैं, टेढ़े को कोई नहीं छूता।

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Chanakya Niti: नीतिशास्त्र (Ethics) के सबसे प्रमुख प्रमुख व्यक्तित्व का नाम है आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya)। वे एक साथ कुशल राजनीतिज्ञ, विद्वान कूटनीतिज्ञ और सिद्ध रणनीतिकार थे। साथ ही वे एक मर्मज्ञ अर्थशास्त्री (economist) भी थे। इसी लिए आचार्य चाणक्य की गिनती भारत (India) के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य ने आम से लेकर खास लोगों के जीवन के कई पहलुओं की समस्याओं से जुड़े सूत्र दिए हैं। इस सूत्रों को चाणक्य नीति के रूप में खासी प्रसिद्धि मिली है। चाणक्य नीति के सूत्र लोगों को संभावित परेशानियों से बचने की सावधानी बताते हैं। इसलिए व्यक्तिगत विकास (personal development) के लिए चाणक्य नीति संहिता को समझना भविष्य की रणनीतियों के लिए काफी उपयोगी साबित होते हैं।

गुप्त रखें अपना लक्ष्य
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अपने लक्ष्य को किसी के सामने व्यक्त नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस संसार में ईर्ष्या रखने वालों की कमी नहीं है। आपका ऊंचा लक्ष्य जान जाने से लोग आपके रास्ते में अड़चन पैदा कर सकते हैं। चाणक्य नीति के अनुसार, व्यक्ति की सफलता उसके परिश्रम, रणनीति और समय प्रबंधन पर निर्भर करती है। चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति को कभी अपने मन का भेद नहीं खोलना चाहिए। उसे जो भी कार्य करना है, उसे अपने मन में रखे और पूरी तन्मयता के साथ समय आने पर उसे पूरा करना चाहिए।

अधिक सीधा ना बनें
चाणक्य नीति में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को आवश्यकता से अधिक ‘सीधा’ नहीं होना चाहिए। वन में जाकर देखो- सीधे तने वाले पेड़ ही पहले काटे जाते हैं, टेढ़े को कोई नहीं छूता। अगर कोई सांप जहरीला नहीं है, तब भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए। उसी तरह से कमजोर व्यक्ति को भी हर वक्त अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को अपनी कमजोरियां किसी को भी नहीं बतानी चाहिए। ऐसा करने पर सामने वाला व्यक्ति उस कमजोरी को किसी के भी सामने उजागर कर सकता है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जैसे एक शेर शिकार को पाने के लिए लक्ष्य से कभी नहीं भटकता और मौका देखकर आक्रामक तरीके से वार करता है. उसी तरह व्यक्ति को अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र होना चाहिए।

धन का करें संचय
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इंसान को भविष्य के लिए हमेशा धन संचय करना चाहिए। ऐसा करने से आप किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं। इसलिए घर में धन का संग्रह होना अति आवश्यक है। इसलिए हमेशा धन को बहुत ही सोच विचार कर खर्च करें। जितना हो सके उसका संचय करें। आचार्य चाणक्य के अनुसार, कभी भी मूर्ख लोगों से विवाद नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से केवल आपका ही नुकसान होता है। साथ ही इससे आपकी छवि पर भी बुरा असर पड़ता है।

कुसंगति से दूरी
बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरों को हानि पहुँचाने वाले तथा अशुद्ध स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो पुरुष मित्रता करता है, वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। आचार्य चाणक्य का कहना है मनुष्य को कुसंगति से बचना चाहिए। वे कहते हैं कि मनुष्य की भलाई इसी में है कि वह जितनी जल्दी हो सके, दुष्ट व्यक्ति का साथ छोड़ दें। आचार्य चाणक्य के अनुसार, आपकी बातों को अनसुनी करने वाले लोग विश्वास के योग्य नहीं होते। आपको दुख में देखकर खुश रहने वाले लोगों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसा व्यक्ति आपको धोखा जरूर देगा। इसलिए इन लोगों को वही बातें बताएं जो आप हर किसी से साझा कर सकते हैं।

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