Swatantrya Veer Savarkar Award: ‘सावरकर’ सिर्फ उपनाम नहीं, बल्कि जीने का उद्देश्य हैः राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर

बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने कहा कि वीर सावरकर ने जो विकसित भारत की तस्वीर पेश की थी, वही सोच और लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेश किया है। नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है।

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Swatantrya Veer Savarkar Award: वीर सावरकर (Veer Savarkar) एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे क्योंकि उन्होंने विभिन्न साहित्य लिखे, सामाजिक ज्ञान के लिए काम किया और विज्ञान के प्रति समर्पण दिखाया। क्या अभी भी हमें लगता है कि उनका व्यक्तित्व प्रासंगिक है? इस पर विचार किया जाना चाहिए। हम सभी सावरकर के प्रति अपने प्रेम के कारण ऐसे आयोजनों में शामिल होते हैं।’ यह उद्गार बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर पुरस्कार वितरण समारोह में व्यक्त किए।

 राज्यपाल आर्लेकर ने कहा, हमें खुद से यह सवाल पूछना चाहिए। हम वीर सावरकर पर लेख और कविताएं लिखते हैं, लेकिन हमें यह याद नहीं रहता कि वीर सावरकर ने ज्ञानोदय का कार्य क्यों किया। वीर सावरकर ने भाषा सुधार, विदेशी राजनीति, रक्षा व्यवस्था, संसदीय कार्य संबंधी शर्तें जैसे अनेक कार्य किये। अटल बिहारी वाजपेयी ने वीर सावरकर शब्द को नई परिभाषा दी। इसलिए, सावरकर सिर्फ उपनाम नहीं है बल्कि यह जीने का उद्देश्य बन गया है।

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रविवार, 26 मई को स्वातंत्र्यवीर सावरकर की जयंती( वास्तविक जयंती 28 मई को)  पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक द्वारा प्रतिवर्ष दिये जाने वाले  पुरस्कार का वितरण उत्साहपूर्ण माहौल में किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक स्थित सभागृह में आयोजित किया गया। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर बोल रहे थे। इस अवसर पर मंच पर स्मारक के अध्यक्ष प्रवीण दीक्षित, कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर, सावरकर स्ट्रैटेजिक सेंटर के प्रमुख ब्रिगेडियर हेमंत महाजन और आईआईटी इंदौर के डॉक्टर डॉ. सुहास जोशी मौजूद थे। इनके साथ ही सावरकर विचार प्रसारक संस्था के विद्याधर नार्गोलकर और फिल्म ‘स्वातंत्र्यवीर’ के निर्माता, लेखक, अभिनेता रणदीप हुड्डा भी मौजूद रहे।

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नई पीढ़ी को गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना होगा
आज का दिन अलग है। मैं दो साल से ऐसे कार्यक्रम में आने की कोशिश कर रहा था, आज वो दिन आ गया। इस कार्यक्रम में जिन लोगों को सम्मानित किया गया, उनकी उपलब्धियां महान हैं। इस कार्यक्रम में उन्हें वीर सावरकर के नाम पर सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने जो किया है, वह समाज के सामने आना चाहिए, जिन्होंने अच्छे कार्य किये हैं, वे प्रशंसा के पात्र हैं। वीर सावरकर ने देश को दिशा दी, विचारों को गरिमा दी। हम सब जानते हैं कि हमने काला पानी की सज़ा भुगती है। वीर सावरकर ने भारत के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया, वे स्वयं जीवित हैं। आज वीर सावरकर के बारे में कई आपत्तिजनक बातें कही जाती हैं, इसलिए हमें वीर सावरकर के वास्तविकता को समाज के सामने लाना चाहिए, इसके लिए हमें उन्हें फिल्मों, लेखों और कविताओं के माध्यम से अपनी पीढ़ी के सामने प्रस्तुत करना चाहिए। गुलामी में जीने की हमारी मानसिकता बन गई है। नई पीढ़ी को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा। हमारे यहां जीत की एक सांस्कृतिक, परंपरा है। राज्यपाल आर्लेकर ने यह भी कहा कि हमारी परंपरा हार की नहीं बल्कि जीत की है, इसे नई पीढ़ी के मन में बिठाना होगा।

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प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर वीर सावरकर का विचार है
वीर सावरकर ने जो विकसित भारत की तस्वीर पेश की थी, वही सोच और लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेश किया है। नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। विकसित, समृद्ध भारत वीर सावरकर का लक्ष्य था, हमें इस विरासत को आने वाली पीढ़ी के सामने रखना चाहिए। सावरकर को हमारे देश को ‘सोने की चिड़िया’ नहीं बल्कि ‘सोनेका शेर’ बनाने के लिए कष्ट उठाना पड़ा, जिसकी दहाड़ पूरी दुनिया में फैलनी चाहिए। इसलिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से आयोजित ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से वीर सावरकर के विचारों और आचरण को समाज के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए। राज्यपाल आर्लेकर ने कहा कि वीर सावरकर वीर थे, यह हमकों लोगों को बताना होगा, तभी आने वाली पीढ़ी वीर सावरकर के खिलाफ कभी नहीं बोलेगी। बल्कि उनसे प्रेरित होकर उनकी विचारधारा पर अमल करेगी।

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