सेना में अब महिलाओं की भी कदम ताल!

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने बड़े फैसले में सेना को निर्देश दिया है कि वह एक माह के भीतर महिला अधिकारियों के लिए स्थाई कमीशन देने पर विचार करे।

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भारतीय सेना और नौसेना में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने को लेकर दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। न्यायालय ने इस बड़े फैसले में सेना को निर्देश दिया है कि वह एक माह के भीतर महिला अधिकारियों के लिए स्थाई कमीशन देने पर विचार करे। इसके साथ ही न्यायालय ने प्रक्रिया पर अमल करते हुए दो महीने में उन्हें स्थाई कमीशन देने का भी निर्देश दिया है।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि सेना में यह आगे भी जारी रहेगा और उन्हें सभी सुविधाओं का लाभ पुरुष अफसरों की तरह मिलता रहेगा। इसके साथ ही न्यायालय ने स्थाई कमीशन हेतु महिला अफसरों के लिए बनाए गए मेडिकल फिटनेस मापदंड को भी मनमाना और भेदभाव पूर्ण बताया। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि सेना द्वारा अपनाए जा रहे मूल्यांकन के मापदंड महिलाओं के साथ भेदभाव पूर्ण हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने कही ये बात
भारतीय सेना और नौसेना में महिला अधिकारियों के लिए स्थाई आयोग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सेना द्वारा अपनाए गए मानकों की कोई न्यायिक समीक्षा संभव नहीं है। महिला अधिकारियों की ओर से दायर याचिका पर न्यायालय की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में एक करियर कई ट्रायल के बाद आता है। यह तब और कठीन हो जाता है, जब समाज महिलाओं पर बच्चों की देखभाल के साथ ही अन्य घरेलू जिम्मेदारी डाल देता है।

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17 महिला अफसरों ने दायर की थी याचिका
सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला भारतीय सेना की 17 महिला अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।याचिका में आरोप लगाया गया था कि सेना ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद महिला अधिकारियों को 50 फीसदी तक स्थाई आयोग (पीसी) प्रदान नहीं किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिया था फैसला
सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर वर्ष 2020 में भी सर्वोच्च न्यायालय ने मुहर लगा दी थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्र सेना में कंबैट एरिया को छोड़कर कहीं भी महिलाओं को तैनात कर सकता है।

ये है मामला
बता दें कि पहले शॉर्ट कमीशन के तहत महिलाएं मात्र 10 या 14 साल तक ही सेना में सेवाएं दे सकती थीं। लेकिन अब वे पुरुषों की तरह रैंक के अनुसार सेवानिवृत होंगी। साथ ही उन्हें सभी पेंशन और भत्ते भी मिलेंगे। वर्ष 1992 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए महिलाओं का पहला बैच भर्ती हुआ था। तब ये मात्र पांच साल का था। इसके बाद इसे 10 वर्ष किया गया। वर्ष 2006 में उनकी सेवा को 14 वर्ष तक बढ़ा दिया गया।

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