Ayodhya: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य गर्भगृह में विराजेंगे रामलला, प्रथम तल पर होगा राम दरबार

मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फुट होगी।

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Ayodhya: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर(Shri Ram Janmabhoomi Temple) के मुख्य गर्भगृह में भगवान राम अपने बालरूप में विराजेंगे। मंदिर तीन मंजिला(Temple has three floors) होगा। प्रथम तल पर राम का दरबार(Durbar of Ram on the first floor) होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट(Shri Ram Janmabhoomi Tirtha Kshetra Trust) ने 4 जनवरी को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स(Social Media Platform X) पर मंदिर निर्माण को लेकर यह जानकारी साझा की है। इसमें मंदिर की विशेषताओं के साथ-साथ मंदिर में श्रद्धालुओं की क्षमता को लेकर भी जानकारी दी गई है।

तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक, अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट तथा ऊंचाई 161 फुट रहेगी। मंदिर तीन मंजिला होगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फुट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे। मंदिर में 5 मंडप- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप होंगे। खंभों एवं दीवारों में देवी-देवताओं तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।

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मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा
मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फुट होगी। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति एवं भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।

नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार
दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार(Restoration of ancient temple of Lord Shiva on Navratna Kuber Tila) किया गया है। वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है। मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिल्कुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (आरसीसी) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फुट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है। मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।

25 हजार क्षमता का होगा दर्शनार्थी सुविधा केंद्र
25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर एवं चिकित्सा की सुविधा रहेगी। मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार एवं स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70 प्रतिशत क्षेत्र सदा हरित रहेगा।

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