कोवैक्सीन के निर्माण में अब इसलिए आएगी तेजी

केंद्र सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र की यूनिटों को कोवैक्सीन के निर्माण की अनुमति देने की लंबे समय से मांग हो रही थी।

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सार्वजनिक क्षेत्र की दो बड़ी यूनिट अब कोवैक्सीन का निर्माण करेंगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने इन दो यूनिटों को कोवैक्सीन के टीका निर्माण की तकनीकी दे दी है। इससे देश में कोवैक्सीन के निर्माण में तेजी आएगी और कोविड 19 से बचाव के लिए देश के टीकारण को भी शक्ति मिलेगी।

सार्वजनिक क्षेत्र की जिन दो यूनिटों को कोवैक्सीन निर्माण की तकनीकी प्राप्त हुई है, उसमें इंडियन इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड और बिबकॉल और राज्य सरकार की हाफकिन बायो फार्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन का नाम है।

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टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट
जिन दो यूनिटों को कोवैक्सीन की तकनीकी मिली है वे दोनों ही भारत सरकार समर्थित भारत बायोटेक के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के अंतर्गत अनुबंधित हैं। केंद्र सरकार ने कोवैक्सीन निर्माणकर्ता इन तीन यूनिटों के लिए आर्थिक सहायता में भी बढ़ोतरी की है।

महाराष्ट्र सरकार ने की थी मांग
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाफकिन इंस्टिट्यूट को वैक्सीन निर्माण की अनुमति दिये जाने की मांग की थी। महाराष्ट्र सरकार ने दिसंबर 2020 कोविड सुरक्षा मिशन के अंतर्गत एक प्रस्ताव जमा कराया था। इस पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे नियमित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा करके स्थिति का पता कर रहे थे। हाफकिन बायो फार्मास्यूटिकल प्रतिवर्ष 22 करोड़ डोज का निर्माण करेगा।

अनुमति मिल चुकी है
हाफकिन बायो फर्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटड को मई के दूसरे सप्ताह में ही अनुमति मिल गई थी। लेकिन अनुबंध पर अब हस्ताक्षर हुए हैं। उस समय कंपनी के प्रबंध निदेशक संदीप राठोड ने बताया था कि अगले 8-10 महीनों में टीके की खेप मिलनी शुरू हो जाएगी। इसके लिए हाफकिन में एक फैसिलिटी का निर्माण किया गया है जिसमें बायो सेफ्टी-3 नॉर्म्स का पालन किया जा रहा है।

सरकारी सहायता
हाफकिन की परियोजना के लिए 154 करोड़ रुपए की सीमा निर्धारित की गई है। राज्य सरकार ने इसके लिए 94 करोड़ रुपए दे रही है तो केंद्र सरकार 65 करोड़ रुपए देगी।

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