ये चोरी का मोबाइल जाता कहां है?

जेब कतरों का रूपांतरणअब झपटमारों में हो गया है। डिजिटल युग में पर्स में पैसे मिलना कठिन हो गया है। परंतु, हर हाथ में महंगा मोबाइल होना आवश्यकता है।

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मुंबई अंतरराष्ट्रीय शहर है। आरबीआई की करेंसी हो या हो वैश्विक उत्पाद, यहां सबके सब पहले उतार दिये जाते हैं। इसकी एक हानि भी शहर के लोगों को झेलनी पड़ती है, उनके महंगे साजो सामान पर चोरों की नजर भी यहां सबसे अधिक होती है। इसलिए चोरी भी अधिक होती है। इसमें सबसे अधिक चोरी मोबाइल की होती है। तो प्रश्न यह भी है कि इतने मोबाइल आखिर जाते कहां हैं?

इस प्रश्न के उत्तर को ढूंढने के पहले मोबाइल के उपयोग को भी समझ लेतें हैं। आज मोबाइल फोन प्रत्येक के जीवन का हिस्सा बन गया है। इसके कारण सूचना क्रांति को जो गति मिली उससे एक व्यक्ति की पूरी दुनिया ही एक मोबाइल में सिमट गई। अब बोलिये, वीडियो कॉल पर देखकर बतियाइए और जब थक जाएं तो खेलिये, संगीत सुनिये, मनोरंजक कार्यक्रम देखिये अपना धंधा व्यवसाय करिये। तो यह प्रत्येक के जीवन का हमजोली है, इसीलिये इस पर कई निगाहें टिकी हुई हैं। जो इसे चुराने की कोशिश में 24 घंटे लगे रहते हैं। जब वे सफल होते हैं तो आपका यह हमजोली अंतरराष्ट्रीय गिरोहबाजों के हाथों विदेश में पहुंच जाता है।

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आपके मोबाइल का है यहां बड़ा बाजार
भारत में महंगे मोबाइल लेना सामान्य बात है पर नेपाल और बांग्लादेश में वो उतना ही असामान्य। इसलिए भारत में जितना नए मोबाइल का क्रेज है उतना ही नेपाल और बांग्लादेश में भारते के पुराने मोबाइल का क्रेज है। बस इसी आवश्यकता की पूर्ति करते हैं भारत की गली कूंची में घूमनेवाले झपटमार। ये मोबाइल चुराकर या छीनकर अपने गिरोह के सरगना को देते हैं और वहां से इसे विदेश पहुंचाया जाता है।

एक मोबाइल चोरी के इतने हैं मिलते

  • चोर और झपटमारों को एक मोबाइल के 2 से 4 हजार रुपए मिलते हैं
  • एक चोर दिन में 3 से 4 मोबाइल फोन ले आता है
  • 8 से 10 हजार रुपए की प्रतिदिन होती है आवक

मोबाइल की मंडी

  • चोरी के मोबाइल की होती है नीलामी
  • खरीदार लगाते हैं बोली
  • जिसकी बोली सबसे ऊंची उसे मिलते हैं चोरी के मोबाइल
  • देश के बाहर कूरियर या सीमा तक आदमी से पहुंचाया जाता है
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