मोदी सरकार का कमाल, मोबाइल ऐप से बिकेगा जीविका समूह का उत्पाद! जानिये, कैसे

मंत्रालय का लक्ष्य है कि प्रत्येक एसएचजी परिवार के पास आजीविका के कम से कम दो-तीन स्रोत हों। गरीबों की आजीविका के कई स्रोतों में से एक गैर-कृषि उद्यम है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी सोच से गांव और ग्रामीणों का उत्थान हो रहा है। इसके लिए गिरिराज सिंह के नेतृत्व में ग्रामीण विकास मंत्रालय स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए नया-नया प्रयास कर रहा है।

इसी कड़ी में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अब स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के उत्पाद को राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने के लिए बड़ा प्रयास किया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों के विपणन के लिए मोबाइल ऐप लॉन्च किया है।

महिलाओं द्वारा तैयार किए जाते हैं उत्पाद
स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों के विपणन को मजबूत करने में ईएसएआरएएस मोबाइल ऐप ई-कॉमर्स की पहल में योगदान देगा। ई-कॉमर्स मोबाइल ऐप का उपयोग स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री के लिए एक ज्यादा प्रभावी मंच के रूप में किया जाएगा।

आसान मार्केटिंग के साथ वोकल फॉर लोकल को भी बढ़ावा
यह सर्वोत्तम, प्रामाणिक हस्तशिल्प और हथकरघा के मार्केटिंग की दिशा में ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) के डीएवाई-एनआरएलएम द्वारा संकल्पित एक शुरूआत है। गिरिराज सिंह के नेतृत्व में महिलाओं के आर्थिक प्रगति के लिए लगातार काम कर रहे ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे एक ऐसी शुरुआत बताया, जो जीविका दीदियों के उत्पादों की आसान मार्केटिंग के साथ वोकल फॉर लोकल को भी बढ़ावा देगा।

ग्राहकों की आसान होगी पहुंच
मंत्रालय का लक्ष्य है कि प्रत्येक एसएचजी परिवार के पास आजीविका के कम से कम दो-तीन स्रोत हों। गरीबों की आजीविका के कई स्रोतों में से एक गैर-कृषि उद्यम है। गैर-कृषि आजीविका में प्रमुख व्यवधान एसएचजी उत्पादों के लिए बाजार से संपर्क का प्रावधान है। ई सरस मोबाइल ऐप के माध्यम से एसएचजी दीदियों द्वारा बनाए गए हस्तनिर्मित उत्पाद अब और भी अधिक ग्राहकों के लिए आसान तरीके से हर किसी की उंगलियों पर उपलब्ध होंगे।

डीएवाई-एनआरएलएम की रणनीति ई-सरस ऐप और पोर्टल जैसी ऑनलाइन मार्केटिंग पहलों और सरस मेलों और सरस फूड फेस्टिवल जैसे लोकप्रिय ऑन-ग्राउंड कार्यक्रमों एवं ऑनलाइन और ऑन-ग्राउंड प्लेटफार्मों पर गतिविधियों के क्रॉस-प्रमोशन के साथ चौतरफा विकास का दृष्टिकोण है। ई-सरस पूर्ति केंद्र भी शुरू किया गया है। इसका उपयोग ग्राहकों द्वारा ई-सरस पोर्टल और ई-सरस मोबाइल ऐप के माध्यम से खरीदे जाने वाले उत्पादों के प्रसंस्करण, पैकेजिंग और शिपिंग के लिए किया जाएगा।

यह है योजना
यह ग्राहक के दरवाजे तक ऑनलाइन ऑर्डर लाने के लिए आवश्यक लॉजिस्टिक्स को संभालेगा। ई-सरस पूर्ति केंद्र का प्रबंधन ग्रामीण विकास मंत्रालय और टाटा ट्रस्ट द्वारा संयुक्त रूप से गठित एक गैर-लाभकारी कंपनी फाउंडेशन फॉर डेवलपमेंट ऑफ रूरल वैल्यू चेन्स (एफडीआरवीसी) द्वारा किया जाएगा। एफडीआरवीसी ऐप के साथ प्रदान किए गए इस ई-कॉमर्स का फायदा उठाने के लिए भागीदारों के साथ काम करेगा।

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