महाराष्ट्रः किसान ने लिखा, ‘मेरी अंत्येष्टि में शामिल होने जरुर आना!’

महाराष्ट्र के परभणी में जहरीली दवा पीकर एक किसान ने आत्महत्या कर ली।

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‘पैसे के लिए धमकियां मिल रही हैं। इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। मेरे बच्चे को संभालना। कल मेरी अंत्येष्टि में शामिल होने जरुर आना। कर्ज को लेकर मैं परेशान हो गया हूं।’ यह वाट्सएप स्टेटस था, परभणी के उस किसान का, जो आत्महत्या करने जा रहा था। स्टेटस देखकर उसके काका खेत की ओर दौड़ पड़े। लेकिन वो जब तक वहां पहुंचते किसान जहरीली दवा पी चुका था। उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। गांववालों की मदद से उसे उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परभणी, सोनपेठ तालुका के तिवठाणा गांव के इस किसान का नाम चंद्रकांत उर्फ मुंजाजी धोंडगे था। वह कर्ज को लेकर मिल रही धमकियों से परेशान था।

क्योंं  नहीं रुक रहा किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला?
महाराष्ट्र में कृषि को लेकर पुराने कानून लागू हैं और इसी के साथ अन्नदाताओं की आत्महत्याओं का सिलसिला भी जारी है। सत्ताधारी पार्टी शिवसेना के नेता दिल्ली जाकर केंद्र के नये कानूनों के विरोध का समर्थन करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र में अपने घर में ऐसा कोई कानून लाने की जरुरत नहीं समझते, जिससे किसानों की हालत सुधरे और वे आत्महत्या करने पर मजबूर न हों।

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गाजीपुर जाकर किया किसान आंदोलन का समर्थन
2 फरवरी को शिवसेना सांसद संजय राऊत, अरविंद सावंत और विनायक राउत किसानों के आंदोलन को समर्थन देने दिल्ली से सटे गाजीपुर बॉर्डर पर गए थे। वहां जाकर वे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत समेत कई किसान नेताओं से मिले तथा कृषि कानूनों को वपास लेने की उनकी मांग को सही ठहराते हुए उनके आंदोलन को अपना पूरा-पूरा समर्थन जताया , लेकिन उनकी वापसी के कुछ घंटे बाद ही परभणी में एक अन्नदाता ने हताश और निराश होकर अपनी जान दे दी। ये इस बात का सबूत है कि दिल्ली की राजनीति पर नजर रखने और बड़ी-बड़ी बातें करनेवाले नेताओं को अपनी  गली के हालात के बारे में पता तो है, लेकिन उसकी चिंता कतई नहीं है।

किसानों की समस्याओं को लेकर राजनीति
3 फरवरी को परभणी में घटी इस घटना से मृतक किसान चंद्रकांत के परिजनों के आलावा और किसी को कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।  नेताओं को अपनी राजनीति चमकानी है, इसलिए वे वही बातें करना पसंद करते हैं, जिससे उन्हें और उनकी पार्टी को राजनैतिक लाभ हो।

किसानों के मुद्दों पर सत्ताधारी पार्टियों को बोलने का अधिकार नहींः विपक्ष
महाराष्ट्र विधानपरिषद के विपक्षी नेता प्रवीण दरेकर ने इसे गंभीर घटना बताई है। उन्होंने हिदुस्थान पोस्ट से बात करते हुए कहा कि परभणी में किसान की आत्महत्या की घटना महाराष्ट्र में किसानों की वास्तविक तस्वीर पेश करती है। सत्ताधारी नेता दिल्ली जाकर किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हैं और यहां इस तरह की दुखद घटना घट जाती है। अगर यहां की सरकार इनके लिए कोई कारगर कदम उठाती तो ऐसी घटना नहीं घटती। यहां के किसानों की व्यथा समझकर उनकी जिंदगी न बचा पाने वाली सरकार को किसानों के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है।

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