मार्सेलिस के प्रस्तावित भारतीय दूतावास में वीर सावरकर का म्यूरल स्थापित करने की मांग, प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

भारत और फ्रांस के बीच बढ़ती दोस्ती को देखते हुए मार्सेलिस में प्रस्तावित भारतीय दूतावास में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के म्यूरल का निर्माण करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा गया है।

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय( 13 से 15 जुलाई तक) की फ्रांस यात्रा को ऐतिहासिक माना जा रहा है। उनकी इस यात्रा के दौरान जिस तरह से गर्मजोशी से उनका स्वागत किया, उससे दोनों देशों के संबंध भविष्य में और मजबूत होंगे, इसमें कोई शक नहीं है। दोनों देशों के बीच बढ़ती दोस्ती को देखते हुए मार्सेलिस में प्रस्तावित भारतीय दूतावास में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के म्यूरल का निर्माण करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा गया है।

बता दें कि फ्रांस की प्रधानमंत्री की यात्रा दोनों देशों के सम्बन्धों को नया शिखर प्रदान कर रही है। इसके साथ ही मार्सेलिस में भारतीय दूतावास खोलने का निर्णय लिया गया है। मार्सेलिस का स्थान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे अत्यंत महत्वपूर्ण है| यह स्थान वीर सावरकर के अद्वितीय वीरता का परिचायक रहा है। 8 जुलाई, 1910 को स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने मार्सेलिस बंदरगाह पर ही मोरिया जलयान से छलांग लगाकर भारतीय स्वतंत्रता इतिहास में एक अजरामर घटना पंजीकृत करा दी थी।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर की अदम्य वीरता का उदहरण
मार्सेलिस की यह ऐतिहासिक छलांग भारतीय स्वतंत्रता के लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर द्वारा किये गए अदम्य वीरता का द्योतक है, जो नई पीढ़ियों के लिए राष्ट्र निष्ठा की प्रेरणा देगा। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत शासन ने स्वतंत्रता आंदोलन के अब तक उपेक्षित रहे क्रांति प्रणेताओं को योग्य सम्मान प्रदान किया है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर की राष्ट्र निष्ठा और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे दृष्टिकोणों की छवि उनके कार्यकलापों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगत होती है।

मार्सेलिस में स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक बनाने का प्रयास जारी
स्वातंत्र्यवीर सावरकर की मार्सेलिस बंदरगाह की छलांग भारतीय शौर्य गाथा का अभिन्न अंग है। इसके लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर के अनुयायी भारत सरकार और फ्रांस सरकार से लंबे काल से मांग करते रहे हैं कि, मार्सेलिस में स्वातंत्र्यवीर सावरकर का एक स्मारक बनाया जाए। इस संदर्भ में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक ने इस स्मारक का पूरा खर्चा उठाने की तैय्यारी दिखाई है। 1998 में इस पहल पर मार्सेलिस के महापौर की ओर से एक सकारात्मक उत्तर प्राप्त हुआ था। महापौर ने इस स्मारक के लिए अपनी सहमति दे दी थी। परंतु यह कार्य भारत शासन द्वारा ही होना आवश्यक था और इस दिशा में भारत शासन का प्रतिसाद न मिलने से यह काम अधूरा रहा।

तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से किया गया था पत्राचार
इस विषय में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी पत्राचार किया था। उन्होंने इस दिशा में प्रयत्न भी किये, परंतु, इन प्रयत्नों के बीच सुषमा स्वराज  को काल हमसे छीन ले गया। मार्सेलिस में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के स्मारक निर्माण की जनभावना को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, मुंबई ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस.जयशंकर के समक्ष उपस्थित किया था। पिछले एक वर्ष से महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर भी इस दिशा में प्रयत्नशील हैं। इस बीच जनभावना को देखते हुए फ्रांस में प्रस्तावित भारतीय दूतावास में भी वीर सावरकर के म्यूरल स्थापित करने की मांग की गई है।

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प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर की मांग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक, मुंबई के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने कहा है, “वीर सावरकर स्मारक का कार्य आपके शासन द्वारा पूर्ण होगा, यह हमें विश्वास है। परंतु, अब मार्सेलिस में आपने नए भारतीय दूतावास स्थापित करने की घोषणा की है। हम आपसे निवेदन करते हैं कि इस दूतावास में भी स्वातंत्र्यवीर सावरकर की ऐतिहासिक छलांग पर आधारित एक म्यूरल का निर्माण हो। यह म्यूरल वीर सावरकर के ऐतिहासिक और अजरामर कार्य को आनेवाली पीढ़ियों से परिचित कराने में महत्वपूर्ण कदम होगा।” पत्र के अंत में कहा गया है,” हमें पूर्ण विश्वास है कि, आप इस कार्य के लिS यथा योग्य दिशानिर्देश देकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांति प्रणेता को श्रद्धांजली अर्पित करेंगे।”

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